देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा में भारत का सबसे लंबा और सफल रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. उत्तरकाशी सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन का पूरा ब्यौरा और स्टडी अब भविष्य में न केवल भारत बल्कि अन्य देशों में भी एक नजीर की तरह पेश की जाएगी. इसी के तहत अब भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उत्तराखंड सरकार से विस्तृत रिपोर्ट और कई पहलुओं की जानकारी मांगी है. जिसमें 17 दिनों तक चले इस महा रेस्क्यू अभियान को किस तरह से शुरू किया गया और किस तरह से इसको अंजाम तक पहुंचाया गया, इसकी डिटेल मांगी गई है. इसके लिए बाकायदा एनडीएमए ने उत्तराखंड सरकार को पत्र भी लिखा है.
बता दें उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 17 दिनों तक सात राज्यों को 41 श्रमिक फंसे रहे. जिन्हें निकालने के लिए देश भर के तमाम संसाधनों का उपयोग किया गया. उत्तरकाशी सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन में लगभग 2000 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी लगे रहे. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में काम कर रहे लोगों पर न केवल भारत बल्कि देश-विदेश के तमाम लोगों की भी नजर थी. 17 दिन बाद जैसे ही 41 मजदूरों को इस अंधेरी टनल से निकाल गया वैसे ही पूरी दुनिया ने तमाम एजेंसियों का लोहा माना. अब उत्तराखंड में 17 दिनों तक चलाये गये सफल रेस्क्यू ऑपरेशन से दुनिया सीखना चाहती है. इसके लिए बाकायदा इस रेस्क्यू अभियान का एक लिटरेचर तैयार किया जा रहा है.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग ने उत्तराखंड सरकार को इसके लिए उत्तराखंड सरकार को एक पत्र लिखा है. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग ने पत्र में उत्तरकाशी सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन की एक-एक रिपोर्ट मुहैया कराये जाने की बात कही है. इसके लिए सरकार ने आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रणजीत सिंह को इसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है. पत्र में दुनिया के लिए एक अनोखा रेस्क्यू अभियान किस तरह से शुरू हुआ और इस पूरे रेस्क्यू अभियान की भूमिका कब से बननी शुरू हुई, किस-किस ने क्या-क्या काम किया है, किस मशीन की क्या भूमिका रही, आखिरकार टनल में ऐसी कौन सी कमी थी जिसकी वजह से 17 दिनों तक मजदूर फंसे रहे, इस बीच अभियान में लगे लोगों को किन-किन चुनौतियों से जूझना पड़ा, इन सभी बातों की विस्तार से जानकारी मांगी गई है.