देहरादून: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यानी NDMA ने भू-धंसाव के कारणों की जांच करने गईं केंद्रीय एजेंसियों को परामर्श जारी किया है. इसमें सरकार की संस्थाओं से कहा गया है कि जोशीमठ मामले में अंतिम रिपोर्ट आने तक मीडिया से और सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी साझा करने से बचें, जो उनकी अपनी व्याख्या पर आधारित हो.
इस आदेश को मुताबिक इस तरह की जानकारी साझा करने से न सिर्फ प्रभावित रहवासियों, बल्कि देशभर के नागरिकों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है. पत्र में उल्लेख है कि 12 जनवरी को ही प्राधिकरण के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी. जोशीमठ के भू-धंसाव का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह गठित किया जा चुका है. लिहाजा, सभी संस्थानों से अनुरोध है कि वे विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट आ जाने तक मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने स्तर पर जानकारी साझा करने से बचें.
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कांग्रेस ने सरकार को घेरा: उत्तराखंड में दो दिन पहले इसरो के हवाले से यह खबर आई थी कि जोशीमठ की जमीन पिछले 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर नीचे खिसक गई है. इसके बाद न केवल सरकार बल्कि जोशीमठ के लोगों में भी भय का माहौल बन गया था. हालांकि बाद में इसरो ने अपनी बेवसाइट से इस रिपोर्ट को हटा दिया था. जिसके बाद कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर ये आरोप लगाया है कि बीजेपी की सरकार स्वतंत्र एजेंसियों को भी अपने तरह से चलाना चाहती है. यही कारण है की इसरो ने अपनी दो दिन पहले वाली रिपोर्ट को हटा लिया है.