नई दिल्ली/बेंगलुरु : एनडीए की सत्ता को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों की बैठक बेंगलुरु में हो रही है. इससे पहले 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में बैठक हुई थी. आज की बैठक के बाद विपक्षी दलों की 'रणनीति' बहुत हद तक साफ हो जाएगी. विपक्षी पार्टियों के इस गठबंधन का मुकाबला करने के लिए एनडीए भी कमर कस चुका है और आज ही उनकी भी बैठक हो रही है. एनडीए की बैठक नई दिल्ली में है. उनका दावा है कि उनके साथ 38 दल हैं, जबकि यूपीए की बैठक में 26 राजनीतिक दल शामिल हैं.
आज की दोनों ही बड़ी बैठकों से बहुत हद तक यह तय हो जाएगा कि 2024 के आम चुनाव से पहले किस तरह की राजनीतिक बिसात बिछने जा रही है. कुछ लोग तो इस 'मोमेंट' को 'जेपी मूवमेंट' से भी जोड़ रहे हैं. जेपी यानी जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ अभियान चलाया था, और वे उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने में कामयाब भी हुए थे, तो क्या इस बार भी विपक्षी दलों की वैसी ही तैयारी है, या फिर दोनों परिस्थितियों की तुलना करना ही बेकार है.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि निश्चित तौर पर विपक्षी दलों के पास जेपी जैसा कोई नेता नहीं है और न ही कोई ऐसा मास लीडर जिसकी एक अपील पर छात्र सड़कों पर आ जाएं और सरकार एक्शन लेने के लिए बाध्य हो जाए. दूसरी बात यह है कि उस समय इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, लिहाजा लोगों में नाराजगी थी. आज वैसी स्थिति नहीं है. ये अलग बात है कि विपक्षी दलों का मानना है कि आज की परिस्थिति इमरजेंसी जैसी ही है. उनका कहना है कि सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां तंग कर रही हैं.
विपक्ष के इन आरोपों को पीएम मोदी सिरे से खारिज कर चुके हैं. कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी कार्रवाई जारी रहेगी. आज भी उन्होंने विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 26 दलों की बैठक का आधार भ्रष्टाचार को छिपाना है. पीएम मोदी ने कहा कि वे इतने अधिक घबराए हैं कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं की भी नहीं परवाह है. उन्होंने प.बंगाल स्थानीय चुनाव में नॉन टीएमसी कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कांग्रेस की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए.
विपक्षी दलों और एनडीए की अलग-अलग बैठकों को नजारा - आपको बता दें कि एनडीए की बैठक में 38 दल शामिल हो रहे हैं. लेकिन यहां भी विपक्षी दलों की तरह आपसी खींचतान जारी है. मसलन बिहार का ही उदाहरण ले लीजिए. बैठक में चिराग पासवान हिस्सा ले रहे हैं. उनके चाचा पशुपति पारस भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं. वह मोदी सरकार के मंत्री हैं. पशुपति पारस ने साफ कर दिया है कि वह एनडीए में बने रहेंगे. ऐसे में भाजपा के सामने यह चुनौती है कि वह किस तरह से एलजेपी की आपसी गुटबाजी को खत्म कर पाती है.
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान अपने को पीएम मोदी का 'हनुमान' मानते थे. विश्लेषक मानते हैं कि उनकी वजह से जेडीयू तीसरे स्थान पर पहुंच गई. इस वजह से जेडीयू और भाजपा के बीच खटास बढ़ी और दोनों अलग हो गए. अब चिराग चाहते हैं कि भाजपा उन्हें छह सीटें दे, साथ ही वह हाजीपुर लोकसभा सीट पर भी दावा कर रहे हैं. उनके चाचा पशुपति पारस किसी भी हाल में हाजीपुर सीट देने को तैयार नहीं हैं.
बहुत कुछ ऐसी ही स्थिति राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी को लेकर है. यहां पर उपेंद्र कुशवाहा और नागमणि के बीच रस्साकशी चल रही है. नागमणि और उपेंद्र कुशवाहा एक ही जाति से हैं, लिहाजा दोनों के बीच आपसी खींचतान चल रही है. दोनों ही नेता एनडीए की बैठक में हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 में भाजपा को 17, जेडूयी को 16, छह सीटें एलजेपी को मिली थीं. अब जेडीयू का राजद के साथ गठबंधन है. भाजपा जब सीटों को लेकर तस्वीर साफ करेगी, तब हम जैसे दल क्या प्रतिक्रिया देते हैं, यह भी देखने वाली बात होगी. 'हम/ जीतन राम मांझी की पार्टी है.
विपक्षी दलों की बैठक का नजारा - 26 दल बैठक में शामिल- इन्होंने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखने का फैसला किया है. इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इन्कलूसिव एलायंस.हालांकि बैठक से पहले पोस्टर के लिए जरूर अंतरविरोध दिखा. वैसे सभी नेताओं ने यह माना कि हमारे बीच अंतरविरोध हैं, लेकिन इसके बावजूद हम आगे बढ़ेंगे. आइए इन दलों के अंतरविरोधों पर भी एक नजर डालते हैं.