हैदराबाद : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राजग के उम्मीदवार होंगे. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी मुख्यालय में संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद धनखड़ को एनडीए उम्मीदवार के रूप में घोषित किया. जुलाई 2019 में राज्यपाल के रूप में पदभार संभालने के बाद से ही धनखड़ और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव रहा है. वह राज्य सरकार पर 'अत्यधिक तुष्टिकरण, सांप्रदायिक संरक्षण और माफिया सिंडिकेट जबरन वसूली' का आरोप लगा चुके हैं.
चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से हुई शुरुआती शिक्षा :राजस्थान के झुंझुनू जिले के सुदूर गांव किठाना (जनजातीय क्षेत्र) में 18 मई 1951 को किसान गोकुलचंद धनखड़ के यहां जन्मे धनखड़ ने गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में दाखिला लिया. उसके बाद अपनी स्कूली शिक्षा चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से पूरी की. जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ ने भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी किया. उस परिवार में जहां पहले कोई वकील नहीं था, उन्होंने वकालत में काफी नाम कमाया. उन्होंने 1977 से राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की थी. 1986 में मात्र 35 वर्ष की उम्र में ही धनखड़ राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बने. वे बार कौंसिल के भी सदस्य रहे हैं. धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय दोनों में प्रैक्टिस की.
झुंझुनू से पहली बार चुने गए सांसद :1989 के लोकसभा चुनाव में वह जनता दल के उम्मीदवार के रूप में झुंझुनू से सांसद चुने गए. इसके बाद उन्होंने वीपी सिंह की सरकार में 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया. 1991 में उन्होंने जनता दल छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली. 1991 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के रासासिंह रावत से हार गए. 1993 में धनखड़ अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए. 2003 में उनका कांग्रेस से मोह भंग हुआ और उन्होंने वसुंधरा राजे के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. लोकसभा और राजस्थान विधानसभा दोनों में वह महत्वपूर्ण समितियों का हिस्सा रहे. वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रहे. बाद में जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
ममता से रहा हमेशा टकराव : पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद से ही वह ममता से टकराव को लेकर सुर्खियों में रहे. बंगाल चुनाव के बाद राज्य में हुई राजनीतिक हिंसा के लिए धनखड़ ने सीधे ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. धनखड़ ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हुए हमले को लेकर राज्य की ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी कार्यशैली ऐसा है कि मुझे मजबूर होना पड़ रहा है. मुझे उम्मीद है कि वे संविधान की भावना को समझेंगी और सही रास्ते पर आएंगी. मुझे आशा है कि उनकी सरकार इसे पहली प्राथमिकता देंगी और मुझे विवश नहीं करेगी.' धनखड़ का ममता से इस कदर टकराव था कि टीएमसी ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें राज्यपाल पद से हटाने की सिफारिश भी की थी. गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 19 जुलाई है और चुनाव 6 अगस्त को होना है.
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