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2020 में सड़क दुर्घटना में तेज रफ्तार से 56.6% मौत

नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में भारत में ओवर स्पीडिंग के कारण 75333 लोगों की मौत हुई है, यानि सड़क दुर्घटनाओं में तेज रफ्तार से होने वाली मौत 56.6 प्रतिशत है.

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Published : Oct 30, 2021, 3:57 PM IST

नई दिल्ली: एनसीआरबी के आंकड़ों में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना में ऐसी मौत का दूसरा प्रमुख कारण खतरनाक या लापरवाह ड्राइविंग / ओवरटेकिंग था, जो कुल मौतों का 26.4 प्रतिशत (35219) है.

राज्यवार पैटर्न से पता चला है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश 13.6 प्रतिशत (6137) हुईं, इसके बाद महाराष्ट्र में 7.4 प्रतिशत (3334 मौतें), वहीं कर्नाटक में 7.4 प्रतिशत (3330 मौतें) हुई हैं. 2020 के दौरान राजस्थान में 7.3 फीसदी (3289 मौतें) और बिहार में 6.8 फीसदी (3061 मौतें) हुई हैं.

देश में राजमार्गों (हाईवे) पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं तमिलनाडु (15,471 मामले) में हुईं. इस तरह की सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (33824 मौतों में से 5324) में हुईं, इसके बाद महाराष्ट्र (3365) माैत हुई हैं.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एक्सप्रेसवे पर सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश (1169 में से 711), हरियाणा (9.2 फीसदी), पश्चिम बंगाल (6.1 फीसदी), असम (5.7 फीसदी) और महाराष्ट्र (5.1 फीसदी) में 2020 के दौरान हुई हैं.

गौरतलब है कि 2020 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 3,54,796 थी जाे 2019 में 4,37,396 थी. मरने वालों की संख्या में भी 13.9 प्रतिशत की कमी आई है. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी रेल हादसों में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.

विडंबना यह है कि 2020 में आत्महत्या की घटनाओं में 10.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि कोविड-19 महामारी ने इस तरह की तबाही में एक प्रमुख भूमिका निभाई है. एनसीआरबी के आंकड़ों में कहा गया है कि 2019 में कुल 139123 मामलों के मुकाबले 2020 में कुल 153052 आत्महत्या की घटनाएं दर्ज की गईं.

महाराष्ट्र में सबसे अधिक 19,909 आत्महत्याएं दर्ज हुईं हैं, इसके बाद तमिलनाडु में 16883, मध्य प्रदेश में 14578, पश्चिम बंगाल में 13103 और कर्नाटक में 12259 दर्ज की गईं हैं. भारत में 2020 में हुई कुल आत्महत्या की घटनाओं में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग 7.0 प्रतिशत है. सेवानिवृत्त व्यक्तियों में भी आत्महत्या के मामलों का 1.0 प्रतिशत हिस्सा दर्ज किया गया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ विधि गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2020 को Covid-19 महामारी ने समाज के सभी वर्गाें पर अपना प्रभाव डाला. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित राेजाना कमाने खाने वाले हुए हैं. चूंकि इस तरह का कदम उठाने से पहले लोग मूल रूप से मानसिक आघात से गुजरते हैं, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य और जागरूकता पर जाेर दें.

पढ़ें :देश में 2020 में आत्महत्या के 1.53 लाख मामले, दस हजार से अधिक मामले कृषि क्षेत्र से जुड़े : NCRB

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