नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आज सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि कुल 9,346 बच्चाें काे देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है. ये वे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता या अभिभावक की काेराेना के कारण माैत हाे चुकी है.
यह डेटा पूरा नहीं
हालांकि, यह डेटा भी पूरा नहीं है. क्योंकि कुछ राज्यों ने अभी तक डेटा नहीं दिया है और शीर्ष अदालत ने एनसीपीसीआर (National Commission for Protection of Child Rights) काे 7 मई को फिर से सुनवाई के लिए मामला आने से पहले इस सप्ताह में जानकारी देने का निर्देश दिया था.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ बाल संरक्षण गृह में कोविड-19 से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी. अदालत ने पहले अनाथ बच्चों से संबंधित डेटा को एनसीपीसीआर की साइट (site) पर अपलोड करने का निर्देश दिया था और जिला अधिकारियों को अनाथ बच्चों की तुरंत देखभाल करने को कहा था.
पीएम द्वारा घाेषित राहत की विस्तृत जानकारी मांगी
अदालत ने राज्यों के लिए अपना डेटा अपलोड (data upload) करने का समय यह कहते हुए बढ़ा दिया कि अपलोड करना उपयोगकर्ता के अनुकूल होना चाहिए और यह प्रक्रिया जटिल नहीं होनी चाहिए.
इसी के साथ ही केंद्र से पीएम केयर्स योजना (PM Cares Scheme) का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था जिसे पीएम (PM) ने पिछले सप्ताह की शुरुआत में अनाथ बच्चों के लिए घोषित किया था. लाभार्थियों (beneficiaries) की पहचान कैसे की जाएगी और निगरानी के लिए क्या तंत्र अपनाया जाएगा, इस पर जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है.
नाेडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश
तमिलनाडु, केरल, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों को सचिव स्तर का एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है. जो मामले के लिए शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त अधिवक्ता गौरव अग्रवाल से बातचीत करेंगे और उन्हें मांगी गई जानकारी देकर सहयोग करेंगे.
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उसके बाद न्याय मित्र 6 मई की शाम तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.