झारखंड में एनसीपी विधायक कमलेश सिंह का बयान रांची: क्या झारखंड में एनसीपी के इकलौते विधायक कमलेश सिंह हेमंत सरकार को बाय-बाय करने वाले हैं ? क्या चाचा शरद पवार और भतीजा अजीत पवार के पावर गेम में हेमंत सोरेन को एक विधायक का नुकसान होने वाला है ? एनसीपी में जारी उठापटक के बीच झारखंड में यह लगभग तय माना जा रहा है. ईटीवी भारत के साथ बातचीत में खुद हुसैनाबाद से एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने इस बात के संकेत दिए हैं. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह अजीत पवार गुट के साथ हैं.
ये भी पढ़ें-हुसैनाबाद विधायक ने कार्यकर्तओं के साथ की विकास कार्यों की समीक्षा, कहा- लोकतंत्र में जनता मालिक, जल्द देंगे हिसाब
अब सवाल है ऐसी नौबत क्यों आई. दरअसल शरद पवार गुट ने कमलेश सिंह के खिलाफ दलबदल के तहत झारखंड विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग कर दी है. शरद पवार गुट के प्रवक्ता सह राष्ट्रीय सचिव जितेंद्र अहवाड ने रवींद्रनाथ महतो को पत्र भेजकर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की है. उनकी तरफ से यह पत्र 15 सिंतबर 2023 को भेजा गया है. इसपर स्पीकर सचिवालय ने 15 सितंबर को ही एनसीपी विधायक कमलेश सिंह से जवाब मांगा था.
विधायक कमलेश सिंह ने स्पीकर को भेजे अपने जवाब में कहा है कि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत पवार हैं. उन्होंने खुद आपको पत्र भेजकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया है. ऐसे में चुनाव आयोग का फैसला आने तक अजीत पवार के अलावा किसी अन्य के द्वारा एनसीपी होने का दावा करना और हमारी सदस्यता को चुनौती देना उचित नहीं है. विधायक कमलेश सिंह ने बयान जारी कर कहा है कि वह झारखंड में पार्टी के सिंगल विधायक हैं. साथ ही झारखंड में पार्टी के अध्यक्ष भी हैं. इसलिए उनपर दलबदल का मामला लागू ही नहीं होता. उन्होंने यह भी कहा है कि वह फिलहाल अजीत पवार के साथ हैं.
अजीत पवार ने क्या लिखा है अपने पत्र में:खास बात है कि चाचा शरद के एक्टिव होने पर भतीजा अजीव पवार भी विधायक कमलेश सिंह के बचाव में सामने आ गये हैं. अजीत पवार ने स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि कमलेश सिंह उनकी पार्टी के विधायक है. उनकी दलील है कि 30 जून 2023 को पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों ने उन्हें एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में बहुमत से चुना था. इसकी पुष्टि 5 जुलाई 2023 को मुंबई में पार्टी के नेशनल कांवेंशन में की गई थी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की जानकारी 10 जुलाई 2023 को चुनाव आयोग को भी दे दी गई थी. यही नहीं इलेक्शन सिंबल्स (रिजर्वेशन एंड अलॉटमंट) ऑर्डर, 1968 के पाराग्राफ 15 के तहत सिंबल पर दावेदारी भी चुनाव आयोग में की जा चुकी है. इसमें झारखंड विधायक कमलेश सिंह के अलावा झारखंड में पार्टी की सभी कमेटी का भी समर्थन प्राप्त है. इससे जुड़ा एफिडेविट भी चुनाव आयोग को दिया जा चुका है.
ऐसे में चुनाव आयोग का फैसला आने तक एनसीपी के किसी ग्रुप द्वारा दलबदल की दावेदारी नहीं की जा सकती. इन बातों का जिक्र करते हुए अजीत पवार की ओर से स्पीकर से आग्रह किया गया है कि चुनाव आयोग का फैसला आने तक विधायक कमलेश सिंह के खिलाफ दलबदल का मामला न चलाएं. अजीत पवार की ओर से यह पत्र 18 सिंतबर 2023 को जारी किया गया है.