मुंबई: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक (Maharashtra minister and NCP leader Nawab Malik) की ED कस्टडी 7 मार्च तक बढ़ गई है. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के परिवार से जमीन खरीदने से जुड़े मनी लॉड्रिंग (Dawood Ibrahim money laundering case) मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है. गुरुवार को अदालत में मलिक की आगे की कस्टडी को लेकर करीब दो घंटे तक बहस हुई. एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह इस मामले में ईडी की पैरवी कर रहे हैं जबकि अमित देसाई और तारक सैय्यद नवाब मलिक के वकील हैं.
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एडिशनल सोसलिस्टर जनरल अनिल सिंह ने 1993 बम धमाकों से जुड़ा एक कॉन्फिडेंशियल स्टेटमेंट अदालत के सामने रखा. सिंह ने अदालत से हिरासत 6 दिन और बढ़ाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मलिक की तबियत खराब होने की वजह से उनका बयान दर्ज नहीं किया जा सका है. इसे मानते हुए अदालत ने मलिक की कस्टडी को चार दिनों के लिए बढ़ा दिया है. अनिल सिंह ने कहा कि हमने हसीना पारकर के बेटे का बयान अदालत को दिया है, उसके अलावा जेल में बंद आरोपी का भी बयान अदालत को सौंपा है. हम इसकी जानकारी अभी सबको नहीं बता सकते.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अब भी कई लोगों से पूछताछ के साथ ही लेन-देन की जानकारी और जांच निकालना है. कौन-कौन लोग शामिल हैं, असली मालिक को कुछ पैसे नहीं दिए गए है ऐसे कई सारे मुद्दे हैं. उन्होंने आगे कहा कि तबीयत खराब होने के वजह से पूरी पूछताछ नहीं हो पाई, आगे जो नई जानकारियां आई हैं, उसकी भी जांच होनी है. इसलिए 6 दिनों की हिरासत की जरूरत है.
'हसीना पारकर को 55 लाख नहीं 5 लाख रुपए ही दिए'
इस पर नवाब मलिक की ओर से पेश हुए वकील अमित देसाई ने कहा कि हमने इस मामले को हाईकोर्ट में भी चैलेंज किया है. रिमांड एप्लीकेशन पढ़ने पर जो मैंने पिछली सुनवाई के समय कहा था, वही सच साबित हो रहा है. अब केवल अदालत के हाथ में है कि इन्हें जमानत दी जानी चाहिए या नहीं. आज के रिमांड एप्लीकेशन के पहले पन्ने पर ही लिखा है कि यह पिछले रिमांड एप्लिकेशन का ही आगे का भाग है. पिछली बार अदालत में ईडी की ओर से नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड गैंग के बीच संबंध होने की बात कही गई थी, यह कहा गया था कि टेरर फंडिंग पर इनकी एक्टिव इनवॉल्वमेंट (सक्रिय भागीदारी) रही है. हसीना पारकर को 55 लाख रुपए देने का आरोप लगाकर इसे टेरर फंड कहा था, लेकिन आज आप देखिए ईडी की एप्लिकेशन में क्या कहा गया है. आज ईडी का कहना है कि पिछले बार जो 55 लाख रुपए की बात एक टाइपिंग मिस्टेक थी और वो 5 लाख रुपए ही है, लेकिन इसी एप्लीकेशन के आधार पर इन्हें ईडी की हिरासत में भेजा गया किसी को गिरफ्तार करने से पहले 20 बार सोचना चाहिए, सारे फेक्ट्स को इकट्ठा करने के बाद कोई कार्रवाई की जानी चाहिए.