देहरादून:जोशीमठ में भू धंसाव के बाद बिगड़ते हालात पर राज्य के साथ केंद्र सरकार भी नजर बनाए हुए है. एक तरफ जहां देहरादून में उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू रोज समीक्षा बैठक कर रहे है, तो वहीं केंद्र सरकार की टीम भी लगातार जोशीमठ का अपडेट ले रही है. मंगलवार 10 जनवरी को राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) के अधिकारी ने दिल्ली में बैठक की.
एनसीएमसी की बैठक की (NCMC meeting on Joshimath) अध्यक्षता करते हुए कैबिनेट सचिव राजीव गेन्स ने कहा कि जिन भवनों को ज्यादा खतरा है, उन्हें सुरक्षित तरीक से ध्वस्त किया जाना प्राथमिकता में है. भू-तकनीकी, भूभौतिकीय और हाइड्रोलॉजिकल सहित सभी अध्ययनों व जांच के साथ ही समयबद्ध तरीके से पूरा काम किया जा रहा है.
कैबिनेट सचिव राजीव ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि जोशीमठ में राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से सभी आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. वहीं, उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने बैठक में जानकारी दी कि बुरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
मुख्य सचिव ने बैठक में बताया कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत केंद्रों की पहचान की गई है. राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान किए जा रहे हैं.जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है. जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र में और उसके आसपास निर्माण कार्य भी अगले आदेश तक रोक दिया गए है. जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए NDRF और SDRF की टीमों को तैनात किया गया है.
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वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एमडीएमए) के सदस्य सचिव ने समिति को बताया कि सीबीआरआई, जीएसआई, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, एनआईडीएम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के विशेषज्ञों की एक टीम ने स्थिति का आकलन करने के लिए 6 और 7 जनवरी को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया.