नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को कॉरपोरेट कर्जदार के दिवालिया होने से पूर्णत जुड़े या उससे संबंधित विवादों में निर्णय करने का अधिकार है.
हालांकि, इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने एनसीएलटी तथा राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को यह सुनिश्चत करने को कहा है कि यदि मामला कॉरपोरेट कर्जदार के दिवालियापन से जुड़ा नहीं हो, तो वे अन्य अदालतों, न्यायाधिकरणों मंचों के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में हाथ नहीं डालें.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, 'आईबीसी की धारा 60(5)(सी) की शब्दावली तथा अन्य दिवाला से संबंधित क्षेत्रों में इसी तरह के प्रावधानों की व्याख्या पर विचार के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि एनसीएलटी को कॉरपोरेट कर्जदार के दिवाला मामले से उबरने वाले विवादों के निर्णय का अधिकार है.'