नई दिल्ली : सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) इंडिया और भारत के बीच अंतर नहीं करती है और संविधान में निहित भावना को स्वीकार करती है जिसमें दोनों को मान्यता दी गई है. शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने वाम सदस्यों संतोष कुमार पी और इलामाराम करीम के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने सवाल किया था, 'क्या सरकार को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के पैनल से पाठ्यपुस्तकों में जहां 'इंडिया' शब्द का प्रयोग किया जा रहा है वहां 'भारत' शब्द का प्रयोग करने की कोई सिफारिश प्राप्त हुई है?'
इसके जवाब में शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा, 'भारत के संविधान के अनुच्छेद एक में उल्लिखित है कि इंडिया, जोकि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा. भारत का संविधान 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के आधिकारिक नामों के रूप में मान्यता देता है, जिनका परस्पर उपयोग किया जा सकता है. एनसीईआरटी हमारे संविधान में निहित इस भावना को मान्यता देती है और दोनों के बीच अंतर नहीं करती है.' अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि जैसे-जैसे हम सामूहिक रूप से औपनिवेशिक मानसिकता से अलग हो रहे हैं और भारतीय भाषाओं में शब्दों के उपयोग को प्रोत्साहित कर रहे हैं, स्कूली पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों की तैयारी में शामिल एनसीईआरटी भी उसी को आगे बढ़ाने में अपना सर्वोत्तम प्रयास करेगी.
जम्मू-कश्मीर में 2018 से आतंकी घटनाओं में कमी आ रही : सरकार
सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि पिछले करीब छह साल में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है और 2023 में सबसे कम ऐसी घटनाएं हुई हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति ‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने’ की है और इसका रुख आतंकवादियों के पारिस्थितिकी तंत्र को ध्वस्त करना है.
राय ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि इस साल 15 नवंबर तक जम्मू-कश्मीर में 41 आतंकवादी घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल 125 ऐसी घटनाएं हुई थीं. उन्होंने कहा कि 2021 में 129 आतंकवादी घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2020 में 126; 2019 में 153 और 2018 में 228 ऐसी घटनाएं हुईं. उन्होंने बताया कि इस साल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ की 44 घटनाएं हुईं, जबकि 2022 में 117; 2021 में 100 मुठभेड़ हुईं.
राय ने बताया कि 2023 के दौरान आतंकवादी घटनाओं में कुल 13 नागरिक मारे गए, जबकि 2022 में 31; 2021 में 41 और 2020 में 38 नागरिकों की मौत हुई. आंकड़ों के अनुसार, इस साल जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान कुल 20 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई, जबकि 2022 में 32 तथा 2021 में 42 जवानों की मौत हो गई थी. राय ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर के समग्र विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और उसने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं जिससे वहां विकास को काफी बढ़ावा मिला है.