नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पेश किए गए बजट को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखी जा रही है. एक ओर पीएम मोदी ने बजट को 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प की दिशा में बढ़ाया गया कदम बताया है तो आवंटन की राशि और बजट के प्रावधानों को लेकर कई पक्ष असंतुष्ट भी हैं. दलित मानवाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान (NCDHR) का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट 2021-22 दलितों और आदिवासियों के नजरिए से भावशून्य (lacklustre) है.
बजट 2021-22 पर बोलीं एनसीडीएचआर महासचिव, आदिवासी और दलितों के लिए विशेष प्रावधान नहीं - Beena Pallical NCDHR
दलित मानवाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान (एनसीडीएचआर) की महासचिव बीना पल्लिकल ने कहा है कि बजट 2021-22 में आदिवासी और दलितों के लिए विशेष प्रावधान नहीं किए गए हैं.
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ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में बीना पल्लिकल ने कहा कि यह बजट दलितों और आदिवासियों के दृष्टिकोण से बहुत ही अभावपूर्ण बजट है. उन्होंने कहा कि यद्यपि, पिछले वर्ष के बजट की तुलना में उनके लिए कुल आवंटन बहुत अधिक है, लेकिन जब हम इसे तोड़ते हैं, तो इस कुल आवंटन की बहुत कम मात्रा होती है, जिससे सीधे समुदाय तक लाभ पहुंचे.
एनसीडीएचआर महासचिव ने कहा कि कुल बजट का अनुमान 34,83, 237 करोड़ रुपये है और अनुसूचित जातियों के लिए आवंटन 1,26,259 करोड़ रुपये है. अनुसूचित जनजातियों के लिए यह 79,942 करोड़ रुपये है. बीना पलिकल ने कहा है कि समुदाय को प्रत्यक्ष लाभ देने के बजाय, बजट का सीधा उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है.