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अपनी पार्टी भाजपा की बी टीम नहीं, नेकां व पीडीपी ने उठाया लाभ : अल्ताफ बुखारी

केंद्र शासित प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में नई-नई उभरी जम्मू एंड कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने कहा कि उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या किंग्स पार्टी की बी-टीम नहीं है. जैसा कि विरोधी दल नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) उसके बारे में कहते हैं. बल्कि यह ऐसा संगठन है जिसका वंशवाद का कोई इतिहास नहीं है.

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Published : Aug 1, 2021, 8:14 PM IST

श्रीनगर :कारोबारी से नेता बने अल्ताफ बुखारी ने कहा कि दरअसल जब किंग्स पार्टी या बी-टीम जैसी बात उछाली जाती है तो मैं सिर्फ हंस देता हूं. नेशनल कांफ्रेंस 1999 से भाजपा के साथ सत्ता में थी और पीडीपी ने 2014 के विधासभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ गठबंधन किया था. ऐसे नाम मेरी पार्टी को दिए जाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो असल में वे भाजपा की बी-टीम हैं.

बुखारी के दफ्तर के बाहर कई लोग अलग-अलग काम के सिलसिले में कतार में लगे थे. बुखारी ने नेकां और पीडीपी दोनों पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि ये पार्टियां अपने परिवार वालों के अलावा किसी और से दिल्ली में लोगों से मिलना पसंद नहीं करतीं. बुखारी मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे.

उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि एक पार्टी जिसे दिल्ली से कोई लाभ नहीं मिला, उसे बी-टीम कहा जा रहा है. जिन्होंने भाजपा की बदौलत सत्ता का सुख लिया, वे हमें बी-टीम कह रहे हैं. लोगों को इन राज्य प्रायोजित तत्वों का वास्तव में खुलासा करना चाहिए जो सत्ता में रहना चाहते हैं और राजनीति में किसी नए के खिलाफ संदेह पैदा करना चाहते हैं.

बुखारी ने मार्च 2020 में कुछ नेताओं के साथ मिलकर जेकेएपी का गठन किया था. उन्होंने कहा कि पार्टी नई है और हम सभी बदली हुई हकीकत के साथ जम्मू कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य पर उभरने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए कि मैं दिल्ली गया और जेलों से लोगों की रिहाई पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिला, किसी भी जनसांख्यिकीय परिवर्तन की आशंका को दूर किया और यह सुनिश्चित किया कि नौकरियों और जमीन का कोई नुकसान नहीं हो. तो इस पर वे (नेकां और पीडीपी) हाय-तौबा क्यों मचा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि क्योंकि वे सोचते हैं कि दिल्ली जाने का सिर्फ उन्हें ही अधिकार है. वे समझते हैं कि दिल्ली में सत्ता में बैठे लोगों से मिलना उनका ही खानदानी अधिकार है और जब अल्ताफ बुखारी जैसा कोई शख्स प्रधानमंत्री से मिलता है तो वह दिल्ली की सत्ता का एजेंट बन जाता है. उन्होंने कहा कि 1947 के बाद से यह हमेशा से उनका अधिकार रहा है. जब भी इन परिवारों से हटकर कोई दिल्ली गया है तो वे उसे दिल्ली का एजेंट या दिल्ली अथवा सत्तारूढ़ पार्टी की बी-टीम करार देते हैं. जम्मू कश्मीर में अपनी मिल्कियत बनाए रखने के लिए वे हर किसी पर धौंस जमाते हैं.

स्थानीय निकाय चुनाव में जेकेएपी के निराशाजनक प्रदर्शन पर बुखारी ने कहा कि सबसे पहली बात ये कि मैं इसे निराशाजनक प्रदर्शन नहीं मानता. जिला विकास परिषद के भी चुनाव हुए. प्रत्यक्ष तौर पर हमने 12 सीटें और अप्रत्यक्ष रूप से 22 सीटें जीतीं और याद रखें कि हम महज एक साल पुरानी पार्टी हैं. दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 24 जून को हुई बैठक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बैठक से सबसे बड़ी उम्मीद केंद्र से राज्य का दर्जा बहाल करने का अनुरोध करने की थी और वहां मौजूद सभी दलों ने अपने-अपने तरीके से इस मुद्दे को उठाया.

उन्होंने कहा कि अन्य सभी राजनीतिक दलों से मेरी विनम्र अपील है. हमने सब कुछ खो दिया है. ऐसा नहीं है कि दिल्ली सिर्फ इसलिए कुछ करेगी क्योंकि हम दिल्ली गए थे. मुझे उम्मीद नहीं है कि दिल्ली हमें इसलिए राज्य का दर्जा बहाल करेगी क्योंकि हम सब वहां गए थे. लेकिन हमें उसी संदर्भ में एक मामला बनाना होगा. एक दिन आएगा जब वे ऐसा करेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री ने वादा किया है और गृह मंत्री (अमित शाह) भी सदन (संसद) के पटल पर ऐसा कह चुके हैं.

बुखारी ने कहा कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि किसी मामले को केंद्रीय नेतृत्व के सामने कैसे रखा जाता है. उन्होंने कहा कि पिछले साल मार्च के दौरान मैंने प्रधानमंत्री को फोन किया और उन्हें लोगों के नौकरी छूटने और जमीन खोने के उनके डर के बारे में अवगत कराया. मैं बहुत आभारी हूं कि उन्होंने समझा और हम इसकी रक्षा के लिए एक कानून बनाने में कामयाब रहे.

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यह पूछे जाने पर कि अगर केंद्र राज्य का दर्जा बहाल करने से पहले चुनाव आयोजित करने का फैसला करे तो क्या जेकेएपी चुनाव के लिए तैयार है. इस पर उन्होंने कहा कि आदर्श रूप से हम चुनाव से पहले इसे राज्य का दर्जा बहाल कराना चाहेंगे. मेरा मानना है कि जब तक जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बहाल नहीं किया जाता है, तब तक हमारे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता. अगर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने से पहले चुनाव होते हैं तो इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हम उस बलिदान से भी पीछे नहीं हटेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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