नई दिल्ली :सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को ईटीवी भारत को बताया कि नक्सलियों ने बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) की मदद से उन इलाकों में 150-200 ग्रेनेड दागे हैं, जहां सीआरपीएफ के कई नए कैंप खोले गए हैं. सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, 'हाल ही में, नक्सली बीजीएल का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं. हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें ये हथियार कहां से मिल रहे हैं.'
हाल के दिनों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कई जगहों से ऐसे कई ग्रेनेड बरामद हुए हैं, जो हमले के बाद फटे नहीं. अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'प्रारंभिक जांच से पता चला है कि नक्सलियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे बीजीएल स्थानीय रूप से निर्मित किए गए हैं क्योंकि कई ग्रेनेड में विस्फोट नहीं हुआ था.' अधिकारी ने बताया, 'छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में बनाए गए नए सुरक्षा कैंप को निशाना बनाने के लिए इन कच्चे और तात्कालिक विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करने की कुछ घटनाएं हुई हैं. अब इन हमलों की तीव्रता बढ़ गई है.' अधिकारी ने कहा कि हमलों से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है, इसके अलावा कुछ समय पहले राज्य के सुकमा जिले के एक कैंप में एक रॉकेट लांचर में विस्फोट के बाद एक जवान को उसके मामूली छर्रे से चोट लगी थी.
नक्सलियों द्वारा उपयोग किए जा रहे बीजीएल में 250-300 मीटर की दूरी से लक्ष्य को भेदने की क्षमता है. अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने (नक्सलियों ने) विशेष रूप से रात के समय बीजीएल का इस्तेमाल किया, क्योंकि इस तरह के हमले करने के बाद उनके लिए भागना आसान होता है.' अधिकारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थित कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी दक्षिण बस्तर के एक जिले में एक आंगनवाड़ी केंद्र में लोहे के बने लांचर मिलने के बाद स्थानीय पुलिस को सूचना दी है.