नारायणपुर: नारायणपुर में सक्रिय नक्सली दंपति की बेटी ने बोर्ड परीक्षा पास की है. 18 साल की इस युवती ने 54.5 फीसदी अंक के साथ 10वीं बोर्ड की परीक्षा पास कर अपने सपनों को उड़ान दी है. इस बच्ची का सपना अब डॉक्टर बनना है. शिक्षा विभाग और पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक इस बच्ची के माता पिता सक्रिय नक्सली है. वह बंदूक लेकर जंगल में सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन इस बच्ची ने अपने माता पिता से अलग हटकर अपनी दुनिया चुनी और उसने बंदूक को नहीं अपने कलम को अपना हथियार बनाया. इस तरह वह जीवन की पहली सीढ़ी पास कर चुकी है.
अबूझमाड़ की रहने वाली है बेटी: रायपुर से 300 किलोमीटर दूर अबूझमाड़ की इस बेटी ने साबित कर दिया कि अगर इरादे साफ हो तो वह कुछ भी कर सकती है. बुधवार को जब छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की तरफ से नतीजे आए तो. वह इस इम्तिहान को पास कर चुकी थी. एनमेटा बकुलवाही गांव में वह रहती है. उसके पिता सोनवरम सलाम और मां आरती सक्रिय माओवादी हैं.
कैसे की पढ़ाई: इस 18 साल की युवती ने बताया कि"मैंने कुतुल गांव, नारायणपुर में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्या मंदिर में कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाई की. उसके बाद नारायणपुर शहर में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यापीठ में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई की. फिर मैंने पढ़ाई छोड़ दी और अपने गांव एनमेटा चली गई. क्योंकि मेरे पास जाति और अधिवास प्रमाण पत्र नहीं थे. फिर एक अंतराल के बाद, मैंने रिश्तेदार के घर रहकर पढ़ाई शुरू की.मैं नारायणपुर के भुरवाल गांव में अपनी चचेरी बहन के घर गई. जिसकी शादी हो चुकी है और पास के भाटपाल गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई शुरू की. उसके बाद मैंने बोर्ड परीक्षा दिया. मुझे खुशी है कि मैंने 10वीं की परीक्षा पास कर ली है. मैं डॉक्टर बनकर अपने गांव के लोगों की सेवा करना चाहती हूं"
मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा: बोर्ड परीक्षा पास कर चुकी इस युवती ने बताया कि" मुझे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. मुझे अभी तक अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं मिला है. जो मुझे मिलना चाहिए. इसके अलावा मेरे पास अधिवास प्रमाण पत्र भी नहीं है. मेरी सरकार से गुजारिश है कि वह मुझे ये प्रमाण पत्र दिलाने में मदद करे. जिससे मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं और डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर सकूं".