भोपाल। जम्मू कश्मीर की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार भी बढ़ते नक्सलवाद को खत्म करने के लिए और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए समर्पण नीति ला रही है. समर्पण करने वाले नक्सलियों को तकनीकी विकास के साथ कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसके साथ ही यदि वे नक्सलवाद की राह छोड़ देते हैं, तो उन्हें निशुल्क आवास, 5 लाख रुपए नगद देने के साथ-साथ खेती की भूमि भी सरकार मुहैया कराएगी. जिसके लिए पीएचक्यू ने प्रस्ताव तैयार कर गृह विभाग को मंजूरी के लिए भेज दिया है, इसे अब कैबिनेट की मंजूरी मिलना बाकी है. माना जा रहा है की अगली कैबिनेट में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी जाएगी.
प्रदेश के 3 जिले नक्सल प्रभावित: मध्य प्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिंडोरी नक्सल प्रभावित जिले हैं. यहां पर नक्सली गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए पिछले कई सालों से हॉक फोर्स को तैनात किया गया है और केंद्र सरकार से भी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री मिल चुके हैं और उनसे स्पेशल फोर्स तैनात करने की मांग भी की है. लेकिन इसके बावजूद भी नक्सल गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं. इन जिलों में नक्सली, सरकार विरोधी पर्चे भी बांटते रहते हैं और तकरीबन 4 महीने पहले कान्हा के 1 कर्मी को मार कर उसके शरीर पर पोस्टर चिपका दिए थे.
नक्सलवाद छोड़ने पर मिलेंगी निशुल्क सुविधाएं: गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, 'पीएचक्यू ने प्रस्ताव बनाकर भेजा है, जिसे जल्द ही मंजूर कर कैबिनेट में पास कर दिया जाएगा. सरकार ने तय किया है कि, नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए समर्पण नीति लाई जा रही है. इसमें नक्सलियों को समर्पण के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी और उन्हें नौकरी के साथ-साथ खेती करने के लिए जमीन भी मुहैया की जाएगी और साथ ही ₹5 लाख भी नगद दिए जाएंगे.
मध्यप्रदेश में फिर सिर उठा रहा है 'लाल आतंक', नक्सलियों की सक्रियता बढ़ी, हॉकफोर्स तैनात करने की मांग
नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थिति चिंताजनक: प्रदेश का कान्हा टाइगर रिजर्व, जोकि 940 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर 70 फीसदी इलाका नक्सलवाद की चपेट में आ गया है. 4 महीने पहले नक्सलियों ने तीन वन कर्मचारियों की हत्या कर दी थी. साथ ही एक वनकर्मी की मुखबिरी के शक में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसे लेकर केंद्रीय वन मंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी पत्र लिखा था और पूरे मामले पर सघन जांच करने के आदेश भी दिए थे.
हर साल पुलिस बल पर करोड़ों खर्च करती है सरकार: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कान्हा नेशनल पार्क के साथ-साथ वनों की सुरक्षा के लिए गठित पुलिस बल पर हर साल 24 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाते हैं. तो वहीं, नक्सल प्रभावित जिलों के लिए अलग से भी फंड की व्यवस्था की गई है. हाल की खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से करीब 200 नक्सली पिछले कुछ महीनों में डिंडोरी, बालाघाट में अपना आधार बढ़ा रहे हैं. प्रदेश के गृह विभाग ने नक्सली खतरे से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की छह कंपनियां बालाघाट और मंडला में तैनात की हैं और नक्सल विरोधी विंग हॉक पहले से ही बालाघाट में तैनात है.
नक्सल प्रभावित जिलों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च कर रही सरकार: सरकार चाहती है कि ऐसे युवा, जो भटक कर नक्सल की राह पर चल पड़े हैं. उन्हें रोजगार स्थापित करने के लिए अलग-अलग योजनाओं के जरिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. सरकार की इस योजना से युवा नक्सलवाद छोड़कर अपना खुद का रोजगार स्थापित कर सकेंगे. प्रधानमंत्री आवास के तहत आवास भी दिया जाएगा और आयुष्मान कार्ड में स्वास्थ संबंधी सारी सुविधाएं सरकार उन्हें देगी. नक्सल प्रभावित जिलों में 12 लाख श्रमिकों को रोजगार दिया गया, जिसमें उन्हें 802 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार ने 5 साल में ₹375 करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में खर्च किए हैं.