रायपुर :छत्तीसगढ़ मेंगर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है. गर्मी के मौसम में जंगल के नदी-नाले सूख जाते हैं. ऐसे में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जंगलों में सर्चिंग करने वाले जवानों को पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. सर्चिंग के दौरान हमारे जवान जंगल के किसी भी गांव या बस्ती से नहीं गुजरते. जवानों को यह अंदेशा रहता है कि, कोई ग्रामीण नक्सलियों को उनके होने की सूचना ना दे दे. ऐसे में जवान कई दिनों तक जंगल के सुनसान इलाकों में गश्त करते हैं. जवानों के पास सीमित मात्रा में ही पीने का पानी होता है. क्योंकि वे हथियारों के अलावा भारी सामान अपने साथ लेकर नहीं जाते ताकि थकान ज्यादा ना हो. कई बार हमारे जवानों का पीने का पानी जंगल के अंदर ही खत्म हो जाता है.
पानी की समस्या का कैसे समाधान करते हैं जवान :सबसे पहले हमारे जवान किसी लकड़ी से ऐसे सूखे नालों की या गड्ढों की हल्की खुदाई करते हैं, जिसमें बरसात का पानी हो. यह काम भी इतना आसान नहीं होता. लेकिन बिना हार माने इस काम को हमारे जवान बखूबी अंजाम देते हैं. इन्हें जो पानी काफी मेहनत के बाद मिलता है, वह भी साफ नहीं होता. जवान गंदे पानी को बोतल में जमा करते हैं. जब बोतल में गंदा पानी नीचे दब जाता है, तब ऊपर का पानी पीकर ये जवान अपनी प्यास बुझाते हैं. सब इंस्पेक्टर मोरध्वज प्रधान कहते हैं कि 'गर्मी के दिनों में पानी एक बड़ी चुनौती रहती है. जंगलों में पुराने झरने होते हैं, जहां पर पानी नीचे जा चुका रहता है. उन जगहों को खोदकर पानी निकालने का प्रयास किया जाता है. उसके बाद ही उस पानी को साफ करके पीते हैं.'
डिहाइड्रेशन की होती है समस्या
छत्तीसगढ़ के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट टी आई लक्ष्मण केवट कहते हैं कि, 'सुरक्षाबलों को सबसे ज्यादा परेशानी यह है कि गर्मी के दिनों में जवानों को सबसे ज्यादा पानी कैरी करना होता है. गर्मी ज्यादा होने की वजह से हम दिन में मूवमेंट नहीं करते. सुबह और शाम ही मूवमेंट करना उचित रहता है. साथ ही नक्सलियों का भी खतरा रहता है. ज्यादातर नक्सली घटनाएं गर्मी के समय में होती है. गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन की समस्या का सामना जवानों को करना पड़ता है.' गर्मी के मौसम में जिस तरह से मोहला मानपुर के सघन क्षेत्र के जवान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ठीक उसी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अन्य जवानों को भी जद्दोजहद करनी पड़ती है. कड़ी चुनौतियों के बावजूद भी हमारे जवान नक्सलियों से लोहा लेने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं.'
गर्मी के मौसम में नक्सल गतिविधियों में तेजी पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ETV भारत ने नक्सल मामलों के जानकार से भी चर्चा की है. नक्सल मामलों के जानकार भी मानते हैं कि नक्सली गर्मी में बड़ी हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा की मानें तो, 'गर्मी के मौसम में नक्सलियों के एक्टिव होने के कुछ प्रमुख कारण हैं. नक्सली पोजीशनल वार फेयर की अवस्था में आ चुके हैं. अब गुरिल्ला मैच्योर टैक्टिक्स का हिस्सा हो चुका है. ऐसे में निश्चित अवधि का चुनाव कर लेते हैं. इस अवधि में बैक टू बैक हिंसक घटनाओं को अंजाम देते हैं. नक्सली इन हिंसक घटनाओं को अंजाम देकर यह साबित करना चाहते हैं कि यह अवधि एक प्रकार की दहशतगर्दी की अवधि है.' उन्होंने बताया कि इस दौरान तीन प्रमुख बातों पर नक्सली फोकस करते हैं.
- पहला, लोगों के बीच भय का वातावरण निर्मित करना.
- दूसरा, सरकार के सामने यह साबित करना चाहते हैं कि यदि हम शांति वार्ता की अपील कर रहे हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि हम कमजोर हैं.
- तीसरा, गर्मी का मौसम पतझड़ का मौसम होता है. नक्सली दूर से जवानों को देख लेते हैं. इसलिए गर्मी में नक्सल एनकाउंटर और नक्सल हमले की संख्या बढ़ जाती है.