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Success Story of Riya Philip: नक्सलगढ़ की बेटी ने लंदन में हासिल की नौकरी, सपना पूरा करने ड्राइवर पिता ने घर रख दिया गिरवी

Success Story of Riya Philip छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका अपनी खूबसूरती के साथ लाल आतंक के लिए जाना जाता है. लेकिन कई ऐसे उदाहरण भी देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखने के बाद यकीन होता है कि परिस्थितियों का सामना करने के बाद ही जीत मिलती है. आज सुकमा जैसे रिमोट एरिया के एक ड्राइवर ने अपनी बेटी को पढ़ाकर ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. नक्सलगढ़ क्षेत्र की बेटी सात समंदर पार अब विदेश में नौकरी करके परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है.Naxal hit bastar Daughter success

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Published : Aug 3, 2023, 9:12 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 7:19 AM IST

Success Story of Riya Philip
नक्सलगढ़ की बेटी ने लंदन में हासिल की नौकरी

नक्सलगढ़ की बेटी ने लंदन में हासिल की नौकरी

सुकमा : बस्तर क्षेत्र का सुकमा जिला नक्सली आतंक के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है. लेकिन बदलते वक्त ने सुकमा की तस्वीर भी बदल दी है. लाल आतंक का साया अब धीरे धीरे इस जिले के ऊपर से छटने लगा है. उम्मीद की रोशनी में इस क्षेत्र के युवा अपना भविष्य गढ़ रहे हैं. ताजा उदाहरण सुकमा के एक बस ड्राइवर का है, जिनकी बेटी ने अपने पिता की मेहनत और परिवार के त्याग को बेकार नहीं जाने दिया. मुश्किल परिस्थितयों में रहकर बेटी ने ना सिर्फ अपना ग्रेजुएशन पूरा किया बल्कि नौकरी के दौरान ही विदेश में जॉब करने वाली बेटी बनीं. बेटी के इस सफर में ड्राइवर पिता का योगदान सराहनीय है, जिन्होंने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक गिरवी रख दिया.

कौन हैं रिया फिलिप :सुकमा जिले के संजू फिलिप बस ड्राइवर हैं. वह अपने परिवार का पालन पोषण गाड़ी चलाकर करते हैं. भले ही संजू ज्यादा पढ़ लिख ना पाए हो. लेकिन अपनी बेटियों की शिक्षा में जरा भी कमी नहीं की. इसी का नतीजा है कि संजू की बड़ी बेटी रिया फिलिप को लंदन से जॉब ऑफर आया, जिसके लिए उसने तैयारी की और आखिरकार सफल हुई. लंदन में रिया को नर्सिंग की जाॅब 1 लाख 80 हजार रुपए महीने की सैलरी पर मिली है, जिसके बाद फिलिप परिवार में खुशी की लहर है. वहीं पूरा सुकमा जिला गर्व महसूस कर रहा है.

मेरी पत्नी इंग्लिश मीडियम स्कूल में टीचर है. मैं उसी स्कूल में स्कूल बस चलाता हूं. हमारी मासिक आय 18 से 20 हजार रुपए है. ऐसे में तीनों बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना संभव नहीं था. दोस्तों ने हौसला दिया और मदद भी की. जब मेरी बेटी को विदेश भेजना था तो मुझे एकमुश्त 3 लाख की जरूरत थी. यह बड़ी रकम थी. मैंने घर को गिरवी रखा और बच्ची को विदेश भेजा.-संजू फिलिप, रिया के पिता


कैसे लंदन तक पहुंची रिया :रिया सुकमा के छोटे से गांव दुब्बाकोटा में पैदा हुईं. सलवा जुड़ूम के कारण रिया का परिवार दुब्बाकोटा छोड़कर दोरनापाल आ गया. दोरनापाल के स्थानीय स्कूल में रिया ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद रिया ने आगे की पढ़ाई जगदलपुर से पूरी की. 12 वीं के बाद रिया ने बेंगलुरू के नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लिया. कोर्स के बाद रिया ने धीरुभाई अंबानी कोकिलाबेन हॉस्पिटल में ऑनलाइन इंटरव्यू दिया, जिसमें वो सिलेक्ट हो गई.

नौकरी के दौरान दी परीक्षा :धीरूभाई अंबानी कोकिलाबेन हॉस्पिटल मुंबई में जॉब के दौरान भी रिया ने पढ़ना नहीं छोड़ा, क्योंकि रिया का सपना इससे भी आगे जाना था. लिहाजा रिया ने विदेश के हॉस्पिटल में जॉब करने के लिए तैयारी की. जॉब के दौरान ही रिया ने विदेश के एक हॉस्पिटल के लिए एग्जाम दिया,जिसमें रिया सफल हुई. लेकिन इससे भी बड़ी परेशानी तब आई, जब रिया को लंदन जाना था.

लंदन भेजने के लिए नहीं थे पैसे :रिया को लंदन जाने के लिए तीन लाख रुपए की जरूरत थी. लेकिन घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि रिया को तुरंत लंदन भेज सकें. जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो पिता ने बेटी की खातिर अपना घर गिरवी रख दिया. घर गिरवी रखकर जो पैसे संजू को मिले, उसी से रिया को लंदन भेजा गया.


रिया की पढ़ाई बेहद ही कठिनाइयों के साथ पूरी हुई है. रिया हमेशा से ही अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती थी. उसने काफी मुश्किलों का सामना भी किया है. अब रिया की नौकरी विदेश में लग गई है. अब जितनी भी कठिनाइयां और मुश्किल निकलकर सामने आई थी, उन सभी से निपटा जा सकता है. -सोली फिलिप, रिया की मां

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परिवार की मानें तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे सभी बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में नहीं पढ़ा पा रहे थे. जिसके बाद उनके बच्चों में पढ़ाई की रुचि को देखते हुए दोस्तों ने मदद की. इस सहारे की वजह से ही बच्चों ने अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की.


मुश्किलों के बाद बड़ी बहन ने यह मुकाम हासिल किया है. जिसके लिए परिवार बेहद ही खुश है. रिया परिवार के लिए रोल मॉडल बनकर निकली है. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद माता-पिता ने बड़े स्कूलों में पढ़ाकर हायर एजुकेशन दिया है. हम भी दीदी की तरह बनकर छत्तीसगढ़ के लिए रोल मॉडल बनना चाहते हैं. -प्रिया फिलिप, रिया की बहन

रिया और उसके परिवार ने ये साबित कर दिया है यदि हौसला हो तो परेशानियां बौनी साबित होती है. नक्सलगढ़ में रहकर पढ़ाई पूरी करना फिर आर्थिक तंगी के बाद अपने सपनों को पूरा आसान काम नहीं है.फिलिप परिवार की बेटी ने अपनी मेहनत और लगन से ये साबित किया है,कि कुछ भी नामुमकिन नहीं है. आज रिया नक्सलगढ़ के उन बेटियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं, जो कुछ बनने का सपना देख रही हैं.

Last Updated : Aug 4, 2023, 7:19 AM IST

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