रायपुर: नक्सल मामलों के जानकार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे को काफी अहम मान रहे हैं. खास तौर पर जवानों के साथ उनकी बातचीत और चर्चाओं को नक्सल एक्सपर्ट काफी अच्छा मान रहे हैं. रक्षा विशेषज्ञ वर्णिका शर्मा ने कहा कि इससे नक्सल मोर्चे पर काफी सकारात्मक असर देखने को मिलेगा.
सवाल: नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में जवान किन परिस्थितियों में काम करते हैं. उसका उनकी मनोदशा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
जवाब : सुरक्षा बल के जवान, अपने काम और दायित्व के लिए सचेत रहते हैं. लेकिन वह भी आम आदमी ही हैं. शुरुआती दौर में तो ठीक है लेकिन लगातार चुनौतियों का सामना करने से मानसिक थकान हो जाती है. जवान लगातार विपरीत भौगालिक परिस्थितियों में पेट्रोलिंग और रेकी करते हैं. उनकी मानसिक थकान ही मानसिक अवसाद का रूप ले लेती है. माओवादी संघर्षों की चुनौती और माओवादियों का साइकोलॉजिकल वेपनरी सिस्टम, यानी मनोवैज्ञानिक युद्ध जवानों को और भी ज्यादा टॉर्चर करता है. जब कोई व्यक्ति किसी संस्था में काम कर रहा होता है तो उसके ऊपर एक जवाबदेही होती है. कई तरह के दबाव झेलते हुए सुरक्षा दायित्व निभाना पड़ता है.
सवाल : परिवार से दूर रहना भी क्या जवानों के तनाव की वजह हो सकती है?
जवाब: आजकल सभी के हाथ में मोबाइल है. कम्युनिकेशन का लेवल इतना है कि हर व्यक्ति मिनट टू मिनट इंफॉर्मेशन जानना चाहता है. जब जवान नक्सल एरिया में ड्यूटी करते हैं तो उन्हें परिवार की चिंता रहती है. ऐसे में कम्युनिकेशन नहीं हो पाने से जवान विचलित होते हैं.