नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक की एमएलसी चुनाव में वोट डालने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों विधायकों को एमएलसी चुनाव में वोट डालने के लिए अस्थायी रिहाई की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. इससे पहले अनिल देशमुख और नवाब मलिक ने महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) चुनावों में वोट देने के लिए उनकी याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मंत्रियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और आज ही मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी. लेकिन शीर्ष अदालत से भी इन्हें कोई राहत नहीं मिली.
पीठ ने कहा कि मामले की फाइलें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष रखी जाएंगी. वही तय करेंगे कि मामले की सुनवाई कब होगी और इसकी सूचना दोपहर बाद बतायी जाएगी. उन्होंने पुलिस एस्कॉर्ट का उपयोग करके वोट डालने के लिए उनकी अस्थायी रिहाई की अनुमति देने के लिए निर्देश मांगा. इससे पहले, मुंबई में एक विशेष पीएमएलए अदालत ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्यसभा चुनाव में मतदान करने के लिए एक दिन की जमानत मांगी गई थी. दो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक मलिक और देशमुख वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही अलग-अलग मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में विचाराधीन कैदियों के रूप में बंद हैं.