हिंदू धर्म में नवरात्रि के अवसर पर कन्या पूजन की परंपरा अलग जगहों पर अलग तरीके की है. कहीं पर यह पूजा अष्ठमी के दिन तो कहीं पर नवनी के दिन की जाती है. इन दोनों दिनों में कन्या पूजन के लिए खास मुहूर्त है और अगर इस मुहूर्त में कन्या पूजन करेंगे तो विशेष फलदायी होगा.
आप लोगों में से जो लोग अष्टमी के दिन पूजा करना चाहते हैं उनको अष्टमी तिथि 29 मार्च को दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक कन्या पूजन करने का बेहतरीन योग है, क्योंकि 28 मार्च को शाम 07 बजकर 02 मिनट से अष्टमी प्रारंभ होने जा रही है और अष्टमी 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी.
इसके साथ साथ जो लोग नवमी में कन्या पूजन करना चाहते हैं. वे लोग 30 मार्च को कन्या पूजन करें, क्योंकि 29 मार्च को रात्रि 09:07 मिनट के बाद नवमी तिथि आरंभ होने वाली है. साथ ही 30 मार्च को रात्रि 11: 30 मिनट तक नवमी रहेगी. इसीलिए लिए नवमी के दिन कन्या पूजन करने वाले लोगों के लिए 30 मार्च का दिन उचित है.
धार्मिक रीति और मान्यताओं के अनुसार कन्याओं का चयन विशेष तौर पर कुछ बातों का ध्यान रखकर ही किया जाना चाहिए. कहा जाता है कि जन्म के 1 वर्ष बीतने के बाद कन्या कुंवारी की संज्ञा दी गई है, जबकि 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहकर पुकारते हैं. वहीं 4 वर्ष की कन्या कल्याणी कहा जाता है.