हैदराबाद: पंजाब में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान दे दी गई है. हालांकि उनके साथ जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण का हवाला देकर 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं. बीते कई दिनों से पंजाब कांग्रेस में दो फाड़, दिल्ली दरबार तक दौड़ भाग और मंथन का दौर की वजह सिर्फ और सिर्फ नवजोत सिंह सिद्धू हैं. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ झंडा बुलंद कर वो दिल्ली पहुंच गए और लंबी माथापच्ची के बाद पंजाब कांग्रेस का ताज अपने सिर सजा लाए. ये कहानी है नवजोत सिंह सिद्धू की
क्रिकेट, कमेंट्री और कॉमेडी
20 अक्टूबर 1963 को पंजाब के पटियाला में जन्मे नवजोत सिंह सिद्धू अपने पिता की तरह फौज में जाना चाहते थे. लेकिन पिता की ख्वाहिश उन्हें क्रिकेटर बनाने की थी. साल 1983 में सिद्धू को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिली. सिद्धू के लिए क्रिकेट की पिच पर आगाज़ भले शानदार ना रहा हो लेकिन 1983 की वर्ल्ड कप टीम के सदस्य और फिर एक बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में उन्होंने अपनी जगह टीम में बनाई.
साल 1999 में क्रिकेट से संन्यास के बाद नवजोत सिद्धू ने क्रिकेट कंमेट्री और टीवी पर कॉमेडी शो के जज के रूप में हाथ आजमाया. यहां भी सफलता मिली और सिद्धू टीवी का चर्चित चेहरा बन गए. वो टीवी के चर्चित शो बिग बॉस का भी हिस्सा रह चुके हैं.
सियासत की पिच पर कभी इस टीम में, कभी उस टीम में
साल 2004 में नवजोत सिंह सिद्धू सियासत की पिच पर उतरे. बीजेपी में शामिल हुए और कमल थमाने वाले बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली को अपना गुरु मानने लगे. 2004 लोकसभा चुनाव में सिद्धू पहली बार अमृतसर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और कांग्रेस के बड़े नेता को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया.
गैर इरादतन हत्या के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले उन्होंने इस्तीफा दिया. चुनाव लड़ने की इजाजत मिलने पर 2007 में उपचुनाव में फिर अमृतसर से जीत हासिल की और 2009 लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगा दी. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अमृतसर से सिद्धू का टिकट काटकर अरुण जेटली को उतार दिया. वही अरुण जेटली जिन्हें सिद्धू अपना गुरु मानते रहे. हालांकि जेटली चुनाव हार गए और बीजेपी ने सिद्धू को राज्यसभा भेज दिया.
साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पंजाब में कांग्रेस की जीत हुई. सिद्धू विधायक और फिर मंत्री बन गए लेकिन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मतभेद के चलते उनकी टीम से बाहर हो गए और अब चुनाव से ऐन पहले कैप्टन के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोला कि पंजाब कांग्रेस के कैप्टन बन बैठे.
क्रिकेट हो या सियासत, 'कैप्टन' नहीं आया रास
क्रिकेट के बाद नवजोत सिद्धू की सियासी मैदान में पारी जारी है लेकिन चाहे क्रिकेट का मैदान हो या सियासत का मंच, सिद्धू को 'कैप्टन' कभी रास नहीं आए.
1996 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर थी लेकिन नवजोत सिद्धू दौरे को बीच में छोड़कर ही भारत लौट आए. कहा गया कि नवजोत सिद्धू और टीम के कैप्टन के खिलाफ विवाद चल रहा है. तब भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन थे.
2017 में कांग्रेस ने पंजाब में चुनाव जीता और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने. सिद्धू को शहरी निकाय विभाग दिया गया लेकिन यहां भी उनकी कैप्टन के साथ दाल नहीं गली और टीम कैप्टन से छुट्टी हो गई.
सिद्धू का पाकिस्तान प्रेम
पाकिस्तान प्रेम को लेकर सिद्धू कई बार निशाने पर आ चुके हैं. साल 2018 में इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. भारत के पूर्व क्रिकेटरों के साथ कई लोगों को निमंत्रण भी भेजा गया था लेकिन सिर्फ नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान गए और इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत की. इस दौरान वो पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के गले भी मिले. जिसके बाद वो सियासी विरोधियों से लेकर सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए.
साल 2019 के अंत में भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होना था. इस मौके पर भी नवजोत सिद्धू पाकिस्तान गए और उद्घाटन समारोह में शिरकत की जबकि भारत की ओर से भी उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.