नई दिल्ली:कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने सिद्धू को एक साल कारावास की सजा सुनाई है. जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. अदालत ने अपने 15 मई, 2018 के एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा को बदल दिया है. कोर्ट के फैसले के बाद सिद्धू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आईपीसी की धारा 304 ए के तहत गैर इरादतन हत्या के लिए सिद्धू को दोषी ठहराने की गुरनाम सिंह के परिवार की याचिका को खारिज कर दिया. हालांकि कोर्ट ने सिद्धू को धारा 323 के तहत अधिकतम सजा दी. इसके तहत नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल के कारावास की सजा दी गई है. फैसले के बाद पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता को गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली है. पुलिस उन्हें सजा काटने के लिए पटियाला जेल भेज जा सकती है.
रोडरेज का केस 34 साल पुराना है. नवजोत सिंह सिद्धू के साथ हुई यह घटना 1988 की है. पंजाब के पटियाला में 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिद्धू ने बीच सड़क पर अपनी गाड़ी पार्क कर रखी थी. उसी समय गुरनाम सिंह दो अन्य लोगों के साथ बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे. बीच सड़क पर गाड़ी देखकर सिद्धू से उसे हटाने को कहा था. बहस के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की थी और मौके से फरार हो गए. मारपीट के कारण गुरनाम घायल हो गए थे. लोग उन्हें अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था.
इस मामले की सुनवाई कई साल चली. सितंबर 1999 में निचली अदालत ने नवजोत सिह सिद्धू को आरोपों से बरी कर दिया. पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू समेत दो लोगों को गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार दिया. हाई कोर्ट ने 23 साल पहले दोनों दोषियों को 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी. नवजोत सिंह सिद्धू और रूपिंदर सिंह संधू ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. पीड़ित पक्ष ने एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दायर की.