नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) के एक अधिकारी ने बताया है कि प्रौढ़ शिक्षा संबंधी यह केंद्र प्रायोजित नयी योजना वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दायरे में ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से देश में 15 वर्ष एवं इससे अधिक आयु वर्ग के पांच करोड़ निरक्षर लोगों को लाने का लक्ष्य रखा गया है.
सूत्रों ने बताया कि इस बारे में 24 एवं 26 जून 2021 को राज्यों के साथ डिजिटल माध्यम से समीक्षा बैठक हुई थी. इसमें यह सहमति बनी थी कि सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के पश्चात जुलाई 2021 में 'पढ़ना-लिखना' अभियान समाप्त होने के बाद इसके स्थान पर 'नव भारत साक्षरता अभियान' शुरू होगा.
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस नए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के पांच आयाम हैं जिनमें बुनियादी साक्षरता एवं अंक ज्ञान, महत्वपूर्ण जीवन कौशल से जुड़ा ज्ञान, बुनियादी शिक्षा एवं व्यावसायिक कौशल विकास शामिल है.
व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों के अनुरूप इस कार्यक्रम पर 1037.90 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जिसमें केंद्र का हिस्सा 700 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 337.90 करोड़ रुपये होगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021-22 के बजट प्रस्ताव में प्रौढ़ शिक्षा से संबंधित योजना के बारे में घोषणा की गई थी.
मार्च के महीने में केंद्रीय स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों, राज्य परियोजना निदेशकों एवं प्रदेश साक्षरता मिशन अधिकारियों ने हिस्सा लिया था और सुझाव दिए थे. उन्होंने अपने-अपने प्रदेशों में इस योजना को लागू करने पर सहमति व्यक्त की थी.