रांची: गिरिडीह में पारसनाथ स्थित जैन धर्म के सबसे पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को लेकर झारखंड सरकार के फैसले को विरोध जैन समुदाय के लोग का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर शुरू हो गया हैं. सरकार के आदेश के विरोध में जयपुर में जैन धर्म गुरु ने 3 दिसम्बर को अपना प्राण त्याग दिया. झारखंड सरकार के फैसले के विरोध में इंदौर, जयपुर और गुजरात के विभिन्न शहरों में विरोध जारी हैं तो वहीं 3 दिसम्बर को रांची में जैन समुदाय के लोगों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के नीतियों का विरोध किया.
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ये है इतिहास: सम्मेद शिखर जैन समुदाय का सबसे पवित्र स्थल है, जैन धर्म की मान्यता के अनुसार 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 ने इसी पारसनाथ पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया है. जैन धर्म के लोगों के लिए पहाड़ी मंदिर है. इसलिए ये पूरा क्षेत्र जैन समाज के लिए बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण है. जैन समुदाय का कहना है कि सम्मेद शिखर क्षेत्र को पर्यटन स्थल और ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने से इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी, 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार ने पारसनाथ अभयारण्य को इको सेंसिटिव जोन घोषित करते हुए गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था. 2019 में केंद्र सरकार के तरफ से कुछ आपत्तियां इस आधार पर झारखंड सरकार को भेजी गई कि इसे लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है. जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित किए जाने से गैर जैन समुदाय से जुड़े पर्यटकों की गतिविधि बढ़ रही है. इसकी वजह से उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. जैन समुदाय के लोग पूरी तरह से निरामिश होते हैं लेकिन इको सेंसिटिव जोन से पर्यटकों की गतिविधि बढ़ेगी जिसमें मांसाहारी भोजन भी यहां बनेगा और परोसा जाएगा जिससे धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. 2019 के बाद कोरोने का हालात और बंद हुए पर्यटन के कारण यह मामला दबा रहा.
झारखंड सरकार ने रखा पक्ष:- जैन समुदाय की नाराजगी को लेकर केन्द्र सरकार ने झारखंड सरकार को पत्र भेजकर पूरे मामले की जानकारी ली. भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु पर्यावरण मंत्रालय के वन महानिदेशक सह विशेष सचिव चंद्र प्रकाश गोयल ने अपने पत्र में लिखा है कि 2 अगस्त 2019 के आदेश को लेकर जैन समुदाय के लोगों का विरोध है उनका कहना है कि उनकी धार्मिक आस्था प्रभावित होगी. इसको लेकर झारखंड सरकार की तरफ से 22 दिसंबर 2022 को पत्र भेजकर यह भरोसा दिलाया गया था कि पारसनाथ में जैन आस्था को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. लेकिन उस पत्र में ईको सेंसिटिव जोन से जुड़े नोटिफिकेशन में बदलाव का कोई जिक्र नहीं था. इसलिए जैन धर्मावलंबियों ने आस्था की बात और उसे लेकर विरोध शुरू कर दिया जो पूरे भारत में अब विरोध का रूप का ले चुका है.
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क्या है सरकार का पक्ष : झारखंड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने ईटीवी भारत के खास बात करते हुए कहा कि जैन समाज के लोगो उनसे लगातार संपर्क में है और सरकार इस पूरे मामले को लेकर संवेदनशील है. पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन स्थल की श्रेणी से निकालने को लेकर जैन धर्म के लोगों ने चर्चा की है. साथ ही समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस विषय पर बात करने लिए समय दिलाने की भी बात हमसे कहीं है और एक से दो दिनो के भीतर सीएम से समय लेकर उनकी बातों के रखा जाएगा. पर्यटन मंत्री ने कहा की जैन समुदाय के लोगों की हर भावना का पूरा ध्यान रखा जाएगा और सरकार कुछ भी ऐसा निर्णय नहीं लेगी जिससे किसी की भी धार्मिक भावना आहत हो.