हैदराबाद : हर साल 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. वह रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे और भारत में हिंदू धर्म के पुनरुत्थान करने वाले लोगों में शामिल थे. इस अवसर पर यूथ अफेर्यस और स्पोर्टस मंत्रालय 24वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव (NYF) 2021 का आयोजन करेगा.
उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराया. वह देशभक्त थे और उन्हें भारत में दर्शन के योगदान के लिए नायक माना जाता है.
उन्होंने भारत में व्यापक रूप से फैली गरीबी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि देश के विकास के लिए गरीबी के मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
स्वामी विवेकानंद का कथन है कि सारी शक्ति तुम्हारे भीतर है, तुम कुछ भी कर सकते हो. इस बात पर विश्वास करो, यह मत मानो कि तुम कमजोर हो, विश्वास न करें कि आप आधे पागल हैं, जैसा कि हम में से अधिकांश आजकल करते हैं. आप बिना किसी मार्गदर्शन के सब कुछ कर सकते हैं. खड़े हो जाओ और अपने भीतर की डिवाइन शक्ति को जाहिर करो.
स्वामी विवेकानंद (1863-1902)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था. उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था. 1893 में विवेकानंद शिकागो में विश्व धर्म संसद में बोलते हुए वेदांत दर्शन को पश्चिम में पेश किया और हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया. इस धर्म संसद में भाषण देने के बाद वह विख्यात हो गए.
विवेकानंद 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे, जिन्होंने मातृ भूमि के उत्थान के लिए शिक्षा पर सबसे अधिक जोर दिया. उन्होंने एक मानव-निर्मित चरित्र-निर्माण शिक्षा की वकालत की.
1897 में विवेकानंद रामकृष्ण मिशन से जुड़े. यह एक संगठन है, जो मूल्य-आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, युवा और आदिवासी कल्याण और राहत और पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है.
1902 में विवेकानंद का पश्चिम बंगाल स्थित बेलूर मठ में निधन हो गया. बेलूर रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है.
उनके कई योगदानों का सम्मान करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1984 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया. इस दिन देश के युवाओं से विवेकानंद के मूल्यों, सिद्धांतों और विश्वासों के बढ़ने की उम्मीद की जाती है.
स्वामी विवेकानंद का प्रेरक व्यक्तित्व उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक और बीसवीं सदी के पहले दशक के दौरान भारत और अमेरिका दोनों में प्रसिद्ध था.
1893 में शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारत के एक अज्ञात भिक्षु ने अचानक ख्याति प्राप्त की. संसद में उन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. पूर्वी और पश्चिमी संस्कृति के अपने विशाल ज्ञान के साथ-साथ उनकी गहरी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि, शानदार बातचीत, व्यापक मानवीय सहानुभूति, रंगीन व्यक्तित्व और सुंदर आकृति ने कई अमेरिकियों का आकर्षित किया. जिन लोगों ने विवेकानंद को देखा या सुना, वह आधी सदी से अधिक समय के बाद भी उनकी याद को संजोए हुए हैं.
विवेकानंद का देश के युवाओं के साथ एक विशेष संबंध था और इसलिए वह शैक्षिक सुधारों के मुद्दे के साथ निकटता से जुड़े थे.