नई दिल्ली :आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की सशक्त महिला क्रांतिकारी सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला कहा जाता है. इसलिए उनके जन्मदिन को हमारे देश में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. सरोजिनी नायडू न सिर्फ एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थीं, बल्कि उन्होंने एक प्रसिद्ध कवि और गीतकार के रूप में अपनी खास पहचान बनायी थी.
ऐसा कहा जाता है कि सरोजिनी नायडू ने महज 12 साल की उम्र में अपने लेखन की शुरुआत कर दी थी. अपनी लिखने की कला के जरिए उन्होंने देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था. कहा जाता है कि एक बार जब लंदन में एक सभा को संबोधित करना था तो वहां पर सरोजिनी नायडू ने धाराप्रवाह अंग्रेजी में अपना भाषण देकर सबका दिल जीत लिया था.
बंगाली ब्राह्मण परिवार में जन्म
तेलुगु राज्य के शहर हैदराबाद में रहने वाले बंगाली ब्राह्मण परिवार में अघोरनाथ चट्टोपाध्याय के घर में 13 फरवरी 1879 को सरोजिनी नायडू का जन्म हुआ था. अपने 8 भाई बहनों में सबसे बड़ी सरोजिनी नायडू को बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक था. उनके पिता निजाम कॉलेज के प्रिसिंपल थे तो उनकी मां बंगाली भाषा में कविताएं लिखा करती थीं. पिता का प्रभाव शिक्षा दीक्षा में और मां का प्रभाव कविताओं में दिखता है. वह केवल 12 साल की उम्र में ही मेट्रिकुलेशन की परीक्षा पास करने के बाद 16 साल की उम्र में लंदन चली गयीं, जहां पर कैंब्रिज में पढ़ायी की. सरोजिनी नायडू ने को पेशे से चिकित्सक और अंतर्जातीय युवक डॉ. पदिपति गोविंदराजुलू से प्रेम हो गया था. दोनों की मुलाकात लंदन में ही हुयी थी. 1898 में केवल 19 साल की उम्र में उन्होंने डॉ. पदिपति गोविंदराजुलू से शादी कर ली.