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Army Commanders Conference: राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियां और यूक्रेन युद्ध पर होगा मंथन

सेना के शीर्ष कमांडर (Army Commanders Conference) सोमवार से शुरू हो रही पांच दिवसीय संगोष्ठी में हिस्सा लेंगे. वे चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तनाव के बीच भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा करने के साथ-साथ यूक्रेन-रूस युद्ध के संभावित भू-राजनीतिक असर पर भी मंथन करेंगे.

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Published : Apr 17, 2022, 6:50 PM IST

Updated : Apr 17, 2022, 7:30 PM IST

नई दिल्ली:सेना के शीर्ष कमांडर (Army Commanders Conference) सोमवार से शुरू हो रही पांच दिवसीय संगोष्ठी में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां व यूक्रेन युद्ध से उपजे हालातों पर मंथन करेंगे. यह संगोष्ठी 18 अप्रैल से 22 अप्रैल तक राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में होगी. सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे इसकी अध्यक्षता करेंगे.

अधिकारियों ने रविवार को बताया कि कमांडर क्षमता विकास और 13 लाख जवानों की युद्ध तैयारियों को लेकर विशेष योजना पर ध्यान केंद्रित करेंगे. उन्होंने बताया कि सैन्य कमांडर सम्मेलन साल में दो बार होने वाला प्रमुख कार्यक्रम है. इसका आयोजन हर साल अप्रैल और अक्टूबर में होता है. यह सम्मेलन भारतीय सेना के लिए अहम नीतिगत फैसले लेने के लिए विचार-विमर्श करने और उसे अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने का संस्थागत मंच है. अधिकारियों ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध का क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ सैन्य पहलुओं पर पड़ने वाले संभावित असर पर विस्तृत विचार-विमर्श करने की योजना बनाई गई है.

उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख के कुछ स्थानों पर चीन के साथ उत्पन्न गतिरोध के बीच सेना के कमांडर चीन के साथ लगती 3400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेंगे. अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी कार्रवाई के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश के हालात पर भी सम्मेलन में गहन विचार विमर्श किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 21 अप्रैल को सभी कमांडर से संवाद करने और सम्मेलन को संबोधित करने की उम्मीद है. सेना ने कहा कि सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व सक्रिय सीमाओं पर युद्ध तैयारियों की समीक्षा और संघर्ष के सभी खतरों का आकलन एवं क्षमताओं का विश्लेषण करेगा और क्षमता विकास एवं युद्ध तैयारियों की योजना पर ध्यान केंद्रित करेगा.

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बयान में कहा गया है कि सीमावर्ती इलाकों में अवंसरचना विकास, स्वदेशीकरण के जरिये आधुनिकीकरण, उच्च प्रौद्योगिकी को शामिल करने को लेकर विचार विमर्श करने और यूक्रेन-रूस के किसी असर का आकलन का भी कार्यक्रम है. उल्लेखनीय है कि यह सेना कमांडर का आखिरी सम्मेलन होगा जिसकी अध्यक्षता जनरल नरवणे करेंगे क्योंकि उनका कार्यकाल इस महीने के आखिर में समाप्त हो रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Apr 17, 2022, 7:30 PM IST

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