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नेशनल पार्टियों को इतना तगड़ा डोनेशन मिला, जिससे 'खेलो इंडिया' जैसी 6 योजनाएं चल सकती हैं

भारत में राजनीति महंगी हो गई है या दानदाता खुले हाथ से दलों को दान दे रहे हैं. राजनीतिक दल चुनाव प्रचार, भव्य रैलियां, नेताओं के दौरे और ऑफिस के रखरखाव में जमकर खर्च कर रहे हैं. आखिर इन पार्टियों को इतना पैसा कहां से मिल रहा है. खुद राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को जानकारी दी है. असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में राजनीतिक दलों की कमाई और खर्चों के बारे में जो तथ्य सामने आए, वह चौंकाने वाले हैं. मसलन, भारत सरकार की खेलो इंडिया स्कीम का बजट के चार गुना राष्ट्रीय दलों को मिली चंदे की रकम है. और जानिए क्या है पॉलिटिक्स में डोनेशन का खेल..

total income of political parties
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Published : Aug 31, 2021, 7:25 PM IST

Updated : Sep 1, 2021, 5:48 PM IST

हैदराबाद :राजनीतिक दलों को चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है. यह रकम उन्हें चंदे, कूपन, इलेक्ट्रोरल बॉन्ड आदि से मिलती है. मगर यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत के 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को साल 2019-20 में करीब 4758.206 करोड़ रुपये का चंदा मिला. यह रकम सिक्किम जैसे राज्य के वार्षिक बजट का आधा है. 2019-20 में सिक्किम का बजट मात्र 8,665 करोड़ रुपये था. भारत सरकार ने खेलो इंडिया स्कीम के लिए वर्ष 2020-21 के बजट में 890.42 करोड़ रूपये आवंटित किए थे. यह रकम बीजेपी ज्ञात स्रोत से हुई कमाई से कम और कांग्रेस की कुल आय से थोड़ा ज्यादा है. 2019 -20 में भारतीय जनता पार्टी को ज्ञात स्रोतों से 980.65 रुपये की आमदनी हुई थी, जबकि कांग्रेस ने इस अवधि में कांग्रेस की कुल आय 682.21 करोड़ रुपये रही. खेलो इंडिया का बजट बीजेपी के मिले कुल दान का करीब एक चौथाई ही है.

2019-20 के दौरान भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक आय हुई. वर्तमान में वह देश की सबसे रईस पार्टी है. कांग्रेस दूसरे नंबर है.

भारत निर्वाचन आयोग ( Election Commission of India) ने 19 नवंबर, 2014 को सभी राजनीतिक दलों को हर साल आय-व्यय का लेखा-जोखा देने को कहा था. फाइनैंशियल ईयर 2019-20 की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने के लिए 30 जून 2021 की अंतिम तारीख तय की गई थी, मगर कोविड-19 के कारण इस तारीख में बदलाव किया गया. एडीआर के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आय-व्यय के बारे में जानकारी दे दी है.

राजनीतिक दलों को मिले दान के आंकड़े

  • असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अनुसार, 2004-05 से 2019-20 के बीच, सभी राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से कुल मिलाकर14,651.53 करोड़ रुपये की आय हुई.
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, बीजेपी को अज्ञात स्रोतों से 2642.63 करोड़ रुपये की इनकम हुई, जो सभी राष्ट्रीय दलों की ओर से अघोषित कुल आय का 78.24 प्रतिशत है.
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान सभी राष्ट्रीय दलों को अज्ञात स्रोतों से कुल मिलाकर 3377.41 करोड़ की आय हुई. दलों को 2993.826 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड से मिले.
  • बीजेपी के अलावा 6 अन्य राष्ट्रीय दलों को अघोषित स्रोतों से 734.78 करोड़ रुपये की इनकम हुई. कांग्रेस ने अज्ञात स्रोतों से 526 करोड़ प्राप्त किया.
  • 20 हजार से अधिक वाले घोषित चंदे से राष्ट्रीय दलों ने 1013.805 करोड़ ने दान प्राप्त किया.
  • 2025 कॉरपोरेट्स दानदाताओं की ओर से 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय दलों को 921.999 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया. बीजेपी के खाते में इनमें से 720.408 करोड़ रुपये मिले. कांग्रेस को 133.074 करोड़ रुपये से संतोष करना पड़ा.
    कांग्रेस ने कूपन से भी 192.458 करोड़ रुपये का डोनेशन लिया. बीजेपी ने इस माध्यम से चंदा नहीं लिया.

भारत के राजनीतिक दल कहां से खर्च चलाते हैं :भारत के राजनीतिक दल दान से सर्वाधिक आय पाते हैं. इसके अलावा पार्टी की संपति और बैंक में जमा पैसे पर ब्याज आदि से भी आय होती है. 2019-20 में कांग्रेस ने कूपन से 192.458 करोड़ रुपये का डोनेशन लिया. सीपीएम ने भी करीब 73 करोड़ रुपये कूपन से अर्जित किए. इसके अलावा 20 हजार की रकम भी नाम पते के साथ सीधे पार्टियों को डोनेट की जाती है. 2014 के बाद से इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के जरिए भी डोनेशन देने का कानून बन गया. पार्टियों की आय में बॉन्ड का भारी भरकम योगदान है.

अज्ञात डोनर पार्टियों को करोड़ों देते हैं :बीजेपी को कुल 3623.28 करोड़ रुपये मिले, जिसमें 72.93 प्रतिशत राशि अज्ञात दानदाताओं ने दी थी. कांग्रेस की 682.21 करोड़ की आय में 77.10 प्रतिशत दान अज्ञात डोनर ने ही दी हैं. सीपीएम को 51.27 प्रतिशत डोनेशन बिना नाम-पते वालों ने दिया. तृणमूल कांग्रेस की आय में 69.92 प्रतिशत योगदान गुमनाम डोनर्स का है.

इलेक्टोरल बॉन्ड से आय की जांच नहीं करता है चुनाव आयोग :2018 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी. फाइनेंस एक्ट 2017 के तहत इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था की गई. इस लागू करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून (RP Act) की धारा 29 सी में भी बदलाव किया गया. इस कारण इलेक्टोरल बॉन्ड से हासिल चंदे चुनाव आयोग की जांच के दायरे से बाहर हो गए. संसद में इस जुड़े विधेयक को पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. आम चुनाव में कम से कम 1 पर्सेंट वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल ही इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने के हकदार हैं.

राजनीति में इलेक्ट्रोरल बॉन्ड से चंदा देने का कानून अरुण जेटली के जमाने में बना

पार्टी को बॉन्ड के जरिये दान करेंगे मिलेगी टैक्स में छूट :यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये कोई चंदा देता है तो उसकी पहचान गोपनीय रखी जाती है. जबकि चंदा देने वाले को इनकम टैक्स में छूट मिलती है. बॉन्ड 1000 रुपये, 10 हजार रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में जारी किए जाते हैं. इसे कैश देकर नहीं खरीदा जा सकता है. इसके लिए बैंक अकाउंट से भुगतान करना होता है. बॉन्ड की वैलिडिटी 15 दिनों की होती है. यानी एक बार आपने इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीद लिया तो उसे 15 दिनों के भीतर पार्टी के कोष में जमा करना होगा.

इलेक्ट्रोरल बॉन्ड से फायदा बीजेपी को, दूसरे नंबर पर कांग्रेस :राष्ट्रीय दलों की कुल आय का 62 प्रतिशत यानी 2993.826 करोड़ से अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड से ही आया है. इलेक्ट्रोरल बॉन्ड से 2019-20 में सबसे अधिक दान 2555 करोड़ रुपये बीजेपी ने लिए. इसकी आलोचना करने वाले कांग्रेस ने 317 करोड़ रुपये बॉन्ड से स्वीकार किए. तृणमूल कांग्रेस को भी 100.46 करोड़ का चंदा इसके जरिये ही मिला. 14 क्षेत्रीय दलों टीआरएस, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी, डीएमके, आम आदमी पार्टी, जेडी-यू, समाजवादी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जेडी-एस, एआईडीएमके, राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इलेक्टोरल बॉन्ड से 447.498 करोड़ रुपये का चंदा हासिल किया. एसबीआई के आंकड़ों के अनुसार, फाइनैंशियल ईयर 2019-20 में राजनीतिक दलों ने 3429.5586 के चुनावी बॉन्ड को भुनाया.

2019-20 के दौरान भारतीय जनता पार्टी को सबसे अधिक आय हुई. वर्तमान में वह देश की सबसे रईस पार्टी है. कांग्रेस दूसरे नंबर है.

राजनीतिक दलों को खुला दान देने वाले दानवीर :इलेक्टोरल बॉन्ड के अलावा कई ट्रस्ट और कॉरपोरेट खुले तौर पर चंदा देते हैं और इसकी जानकारी चुनाव आयोग भी देते हैं. 2019-20 के टॉप दानदाता के नाम हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपये राजनीतिक दलों को दिए. प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी को 216.75 करोड़ और कांग्रेस को 31 करोड़ का डोनेशन दिया. जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट ने भाजपा को 45.95 करोड़ और कांग्रेस को 25 करोड़ का दान दिया.

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट-247. 75 करोड़ रुपये

जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट -70.95 करोड़ रुपये

आईटीसी लिमिटेड - 68.96 करोड़

बी जी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नॉलजी प्रा. लि. - 64.15 करोड़ रुपये

न्यू डेमोक्रेटिक इलेक्टोरल ट्रस्ट -42करोड़ रुपये

मेसर्स ओयासिस रियल्टी -25 करोड़ रुपये

लोढ़ा डेवलपर्स लिमिटेड -20.55 करोड़ रुपये

गुलमर्ग रियल्टर लिमिटेड -20 करोड़ रुपये

आईटीसी इन्फोटेक इंडिया -17 करोड़ रुपये

मॉडर्न रोड मेकर प्राइवेट लि.-12 करोड़ रुपये

बीएसपी ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में दावा किया है कि उसे इलेक्ट्रोरल बॉन्ड, कूपन और चंदे से एक रुपया भी नहीं मिला

चंदा देने महाराष्ट्र अव्वल, दिल्ली दूसरे नंबर पर

खुले तौर से नाम-पते के साथ दान देने वालों में महाराष्ट्र अव्वल रहा. 2019-20 में, राष्ट्रीय दलों को महाराष्ट्र से कुल 368.135 करोड़ रुपये का दान मिला. दिल्ली के लोगों और कॉरपोरेट्स ने 338.133 करोड़ रुपये का चंदा दिया. कर्नाटक से नेशनल पार्टियों को 48.521 करोड़ का दान मिला. गुजरात से 48.230 करोड़ और वेस्ट बंगाल से 25.248 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक डोनेशन दिया गया. इसके अलावा बचे हुए राज्यों से कुल 422.723 करोड़ रुपये राष्ट्रीय दलों को मिले. 62.185 करोड़ रुपये का डोनेशन भी पार्टियों को और मिला, मगर देने वाले अपना पता गलत बताया था, इस कारण उनकी गिनती राज्यों में नहीं की गई.

रीजनल पार्टियों में बीजू जनता दल को 2019-20 में 249.31करोड़ रुपये की आय हुई. डीटीपी ने इस अवधि में114.96 करोड़, एआईडीएमके ने 28.10 करोड़, डीएमके ने 26.34 करोड़ के आय की घोषणा की है. बीएसपी ने अपने बैलेंस शीट में बताया है कि उसे 58.256 रुपये की इनकम हुई मगर उसे स्वैच्छिक योगदान, कूपन और इलेक्टोरल बॉन्ड से एक रुपये का भी डोनेशन नहीं मिला.

Last Updated : Sep 1, 2021, 5:48 PM IST

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