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राष्ट्रीय वन शहीद दिवस: आईएफएस पी. श्रीनिवास की प्रतिमा का अनावरण - कर्नाटक में वन अधिकारी पी श्रीनिवास की प्रतिमा

राष्ट्रीय वन शहीद दिवस (National Forest Martyrs Day) के मौके पर वन अधिकारी पी. श्रीनिवास (Forest Officer P. Srinivas) की प्रतिमा स्थापित की गई है. बता दें कि पी. श्रीनिवास वो व्यक्ति थे, जो कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन को सुधार कर मुख्यधारा में लाना चाहते थे, लेकिन उसने उन्हें धोखे से मौत के घाट उतार दिया था. यहां जानें उनके बारे में कुछ और बातें..

वन अधिकारी पी श्रीनिवास
वन अधिकारी पी श्रीनिवास

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Published : Sep 11, 2022, 5:16 PM IST

चामराजनगर: राष्ट्रीय वन शहीद दिवस (National Forest Martyrs Day) के मौके पर वन अधिकारी पी. श्रीनिवास (Forest Officer P. Srinivas) की प्रतिमा का अनावरण हनूर तालुक में वन ब्रिगेड और चंदन तस्कर वीरप्पन (Veerappan) के गृहनगर गोपीनाथम में किया गया. वीरप्पन की धोखाधड़ी का शिकार हुए वन अधिकारी का पुतला गोपीनाथम गांव के लोगों ने बनाया है. आज जिस मरियम्मा मंदिर की प्रतिमा का अनावरण किया गया, उसका निर्माण स्वयं पी. श्रीनिवास ने किया था और उनकी शहादत के बाद श्रीनिवास की यहां पहली पूजा की जा रही है. हाल ही में चामराजनगर के सीसीएफ रहे मनोज कुमार ने गोपीनाथम का दौरा किया और गांव के विकास और मंदिर के विकास के लिए 2 लाख रुपये का दान दिया.

उस समय ग्रामीणों ने डीएफओ पी श्रीनिवास का पुतला बनाने का अनुरोध किया और उन्होंने कहा कि उन्हें कोई पैसा नहीं चाहिए. गोपीनाथम के मरियम्मा मंदिर के सामने ग्रामीणों के आग्रह पर पी श्रीनिवास का दो फुट का कांस्य पुतला बनाया गया है. जिसके बाद अब कियोस्क बनाया गया है और प्रतिमा को स्थापित और समर्पित किया गया है. श्रीनिवास का जन्म मूल रूप से 12 सितंबर 1954 को आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के राजमुंदरी में हुआ था. वीरप्पन को पकड़ने के ऑपरेशन में श्रीनिवास को भर्ती किया गया था. वह यह मानते हुए ऑपरेशन में कुशल थे कि वह वीरप्पन को मना लेगा और उसे मुख्यधारा में ले जाएंगे.

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साल 1980 में जब सार्क सम्मेलन बेंगलुरु में हो रहा था, तो वीरप्पन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और पी श्रीनिवास को सौंप दिया, जो उस समय वन अधिकारी थे. वीरप्पन से चामराजनगर तालुक के बुदिपडागा (रंगसंद्रा) गेस्टहाउस में तीन दिनों तक पूछताछ की गई. लेकिन वीरप्पन वहां से भाग निकला. वीरप्पन के कई साथियों ने आत्मसमर्पण कर दिया.

इस प्रकार आत्मसमर्पण का खेल खेलते हुए, वीरप्पन ने 1991 को एराकेयम हल्ला के पास पी श्रीनिवास की बेरहमी से हत्या कर दी. भले ही वह वीरप्पन की क्रूरता का शिकार हो गए और 31 साल की उम्र में शहीद हो गए, लेकिन गांव के लोग अभी भी मरियम्मा मंदिर में श्रीनिवास के चित्र की पूजा करते हैं।

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