हैदराबाद :प्रत्येक वर्ष 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछली किसान दिवस मनाया जाता है. इस दिन के उपलक्ष्य में मत्यपालन क्षेत्र से जुड़े श्रेष्ठ किसानों व मछुआरों को इस क्षेत्र के विकास में उनके दिए गए योगदान के लिए मान्यता दी जाती है.
बता दें, मात्स्यिकी क्षेत्र (Fisheries sector) 2.8 करोड़ से ज्यादा मछुआरों और उस कड़ी में जुड़े कई लोगों को आजीविका प्रदान करता है. हमारे देश के कुल कृषि निर्यात का 17 प्रतिशत मछली पालन और फिश प्रोडेक्ट्स ही होता है. देश में समुद्र तट में एक बड़ा हिस्सा जो कि लगभग 8,118 किलोमीटर होगा, वह EEZ (Exclusive Economic Zone) में आता हैं.
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस बता दें, 'EEZ' वह सीमा है जो देशों को फिशरीज और नॉन-फिशरीज उद्योगों को अपनी सीमाओं के भीतर पानी में प्राकृतिक संसाधनों (Natural Resources) को विनियमित करने की अनुमति देती है.
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस :
दरअसल, 10 जुलाई, 1957 को ओडिशा के कटक में CIFRI के पूर्ववर्ती पोंड कल्चर डिविजन (Pond Culture Division) में कार्प (एक प्रकार की मछली) में प्रेरित प्रजनन तकनीक (Hypophysation) का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था. महान वैज्ञानिक डॉ. हीरा लाल चौधरी (Dr. Hira Lal Choudhury) और डॉ. अलीखुनी (Dr. Alikhuni) ने यह सफलता हासिल की थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य के स्तत स्टॉक एवं स्वस्थ परिवेश को सुनिश्चित करने के लिए देश के मत्स्यपालन संसाधनों को प्रबंधित करने के तरीके को बदलने पर ध्यान आकर्षित करना है.
पढ़ें :विश्व मत्स्य दिवस पर ओडिशा को मिले दो सम्मान
प्रेरित प्रजनन की तकनीक ने देश को मछली बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया है. प्रेरित प्रजनन की पहली सफलता का जश्न मनाने के लिए, भारत सरकार ने हर साल 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछली किसान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. प्रोफेसर हीरा लाल चौधरी को इस तकनीक में अपने अथक प्रयासों देने और रिसर्च करने के लिए देश में 'प्रेरित प्रजनन का पिता' (Father of Induced Breeding) माना जाता है, जिन्हें भारत में 'पहली नीली क्रांति' के मार्ग-निर्माता के रूप में जाना जाता है.
राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस मनाने का उद्देश्य:
- इस आयोजन का उद्देश्य स्थायी स्टॉक और स्वस्थ इकोसिस्टम को सुनिश्चित करने के लिए, देश के मत्स्य संसाधनों के प्रबंधन के तरीके को बदलने पर ध्यान आकर्षित कराना है.
2. देश में मात्स्यिकी क्षेत्र के विकास में मत्स्य किसानों, जल-उद्यमियों (जल क्षेत्र के उद्यमियों) और मछुआरों की उपलब्धियों और योगदान को मान्यता प्रदान करना .