हैदराबाद : गैर-नवीकरणीय ऊर्जा श्रोतों के सीमित भंडार के बावजूद उस पर हमारी निर्भरता काफी ज्यादा है. इसके अलावा जागरूकता के आभाव व अन्य कारणों से बड़े पैमाने पर ऊर्जा की बरबादी होती है. इसी को ध्यान में रखकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को नवीकरणीय ऊर्जा श्रोत अपनाने और ऊर्जा की बर्बादी रोकने के लिए 14 दिसंबर को विश्व ऊर्जा संरक्षण दिवस के साथ-साथ भारत में राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है. इस दिवस का आयोजन 1991 से जारी है.
वैश्विक पैमाने पर होता है आयोजन
दुनिया भर के 150 देशों के 5200 शहर और लाखों लोग ऊर्जा संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु की सार्वभौमिक पहल का जश्न मनाएंगे. यह दिवस बड़े पैमाने पर गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से संसाधनों को ऊर्जा उत्पादन की ओर निर्देशित करने में निर्णय निर्माताओं का ध्यान केंद्रित करने का कार्य करता है.
भारत में आज भी एनर्जी लॉस बड़ी समस्या
देश-दुनिया में ऊर्जा की खपत में हर साल बढ़ोतरी हो रही है. खपत बढ़ने के साथ-साथ एनर्जी लॉस (ऊर्जा की हानि) में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. इसका तात्पर्य यह है कि उपभोग से पहले ट्रांसमिशन लाइन में ऊर्जा की हानि, उर्जा की चोरी, पुराने और परंपरागत उपकरण और ट्रांसमिशन लाइन के कारण सामान्य से ज्यादा ऊर्जा की खपत होना है. इससे लक्षित ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में परेशानी, लागत मूल्य बढ़ना सहित कई प्रकार से उपभोक्ता व ऊर्जा प्रबंधन करने वाली एजेंसियों व सरकारों के लिए बड़ी चुनौती है.