नई दिल्ली :तीरथ सिंह रावत (Tirath Singh Rawat) के इस्तीफा (resignation) देने के बाद नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए विधायक दल की बैठक आज (शनिवार) दोपहर तीन बजे होगी. इसके लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए हैं. सीएम रावत (CM rawat) ने कल (शुक्रवार) उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य (Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya) को अपना इस्तीफा सौंपा.
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) उत्तराखंड (Uttarakhand) जाने के लिए दिल्ली के अपने घर से निकल चुके हैं. वह पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर उत्तराखंड जा रहे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर बीजेपी विधायक दल की बैठक में हिस्सा लेंगे.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को तत्काल दिल्ली तबल किया गया है. वे इस संबंध में बोले कि विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए उत्तराखंड जा रहा हूं. तोमर को उत्तराखंड में सीएम चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाया गया है.
तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया. अब आज (शनिवार) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल की बैठक में वर्तमान विधायकों में से ही किसी एक को विधायक दल का नेता चुना जाएगा.
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दिल्ली से लेकर देहरादून तक दिन भर चली मुलाकातों और बैठकों के दौर के बाद रावत ने शुक्रवार रात करीब साढ़े गयारह बजे अपने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ राज्यपाल से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा. इस्तीफा देने के बाद रावत ने संवाददाताओं को बताया कि उनके इस्तीफा देने का मुख्य कारण संवैधानिक संकट था, जिसमें निर्वाचन आयोग के लिए चुनाव कराना मुश्किल था.
उन्होंने कहा, संवैधानिक संकट की परिस्थितियों को देखते हुए मैंने अपना इस्तीफा देना उचित समझा. रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अपने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने उन्हें उच्च पदों पर सेवा करने का मौका दिया.
पौड़ी से लोकसभा सदस्य रावत ने इस वर्ष 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था और संवैधानिक बाध्यता के तहत उन्हें छह माह के भीतर यानी 10 सितंबर से पहले विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना था. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए के मुताबिक, निर्वाचन आयोग संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधायी सदनों में खाली सीटों को रिक्ति होने की तिथि से छह माह के भीतर उपचुनावों के द्वारा भरने के लिए अधिकृत है, बशर्ते किसी रिक्ति से जुड़े किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष अथवा उससे अधिक हो.
यही कानूनी बाध्यता मुख्यमंत्री के विधानसभा पहुंचने में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में सामने आई. क्योंकि विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा है. वैसे भी कोविड महामारी के कारण भी फिलहाल चुनाव की परिस्थितियां नहीं बन पायीं.