नई दिल्ली :पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारे साथ लगभग 8 करोड़ किसान जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि कॉन्क्लेव का असर सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि सेक्टर, खेती-किसानी के लिए आज का दिवस बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने आह्वान किया, 'मैंने देशभर के किसान भाइयों से आग्रह किया था कि प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय सम्मेलन से जरूर जुड़ें.' पीएम ने कहा कि आज करीब-करीब 8 करोड़ किसान देश के हर कोने से टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है. उन्होंने कहा, अब आजादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है.
उन्होंने कहा कि बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. पीएम ने कहा, मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं.
पीएम ने कहा कि खेती के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन और सौर ऊर्जा, बायो फ्यूल जैसे आय के अनेक वैकल्पिक साधनों से किसानों को निरंतर जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि गांवों में भंडारण, कोल्ड चैन और फूड प्रोसेसिंग को बल देने के लिए लाखों करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.
उन्होंने कहा, ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा. पीएम ने कहा कि बीज से लेकर मिट्टी तक सबका इलाज आप प्राकृतिक तरीके से कर सकते हैं.
बकौल प्रधानमंत्री मोदी, 'प्राकृतिक खेती खेती में न तो खाद पर खर्च करना है और ना ही कीटनाशक पर. इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है और बाढ़-सूखे से निपटने में ये सक्षम होती है. इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है. हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा.'
उन्होंने कहा कि नैचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव का फायदा सभी किसानों को मिलेगा. खाद्य प्रसंस्करण, प्राकृतिक खेती इन सभी मुद्दों से कृषि क्षेत्र को बदलने में मदद मिलेगी. पीएम ने कहा, 'कृषि के अलग-अलग आयाम हो, खाद्य प्रसंस्करण हो या फिर प्राकृतिक खेती हो, यह विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेगा. आजादी के अमृत महोत्सव में आज समय अतीत का अवलोकन करने और उनके अनुभवों से सीख लेकर नए मार्ग बनाने का भी है.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई और जिस दिशा में वह बढ़ी, वह सभी ने बहुत बारीकी से देखा है. उन्होंने कहा, 'अगले 25 वर्ष का जो हमारा सफर है, वह नई आवश्यकताओं और नयी चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है.'
पिछले सात वर्ष में खेती और कृषि के क्षेत्र में उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में खेती को विभिन्न चुनौतियों से दो चार होना पड़ रहा है.