कोलकाता : नारदा स्टिंग टेप मामले (Narada Sting Tape Case) में पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दो मंत्रियों, एक विधायक एवं शहर के एक पूर्व महापौर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) से कहा कि आरोपियों के सबूतों से छेड़छाड़ करने या भागने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
जांच में सहयोग कर रहे आरोपी
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने सोमवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) की ओर से मामला स्थानांतरित करने के अनुरोध का विरोध किया. सिंघवी ने कहा कि सभी चारों आरोपी कोलकाता में रहते हैं और उन्होंने जांच में हमेशा सहयोग किया है.
सिंघवी ने पांच जजों की पीठ के समक्ष कहा कि नारदा केस में आरोपी बनाए गए राज्य की ममता सरकार में मंत्री- सुब्रत मुखर्जी (Subrata Mukherjee) एवं फिरहाद हकीम (Firhad Hakim), तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) विधायक मदन मित्रा (Madan Mitra) और शहर के पूर्व महापौर शोभन चटर्जी (Sovan Chatterjee) की जड़ें कोलकाता में हैं. ऐसे में इनके भागने का सवाल ही पैदा नहीं होता. गौरतलब है कि सिंघवी ने पांच न्यायाधीशों की जिस पीठ के समक्ष दलीलें दीं, इसी पीठ ने इन आरोपियों को पहले अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया था.
सबूतों से छेड़छाड़ का कोई सवाल नहीं
सिंघवी ने कहा कि जमानत देने का फैसला आरोपी के भागने, सबूतों से छेड़छाड़ करने और जांच में सहयोग न करने की आशंका जैसे कारकों पर निर्भर करता है तथा इन चारों नेताओं के ऐसा करने की आशंका नहीं है. उन्होंने कहा कि स्टिंग ऑपरेशन (Sting Operation) कथित रूप से 2014 में हुआ और इतने साल बाद किसी प्रकार की छेड़छाड़ किए जाने का कोई सवाल नहीं है.
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आईएनएक्स मीडिया मामले का दिया हवाला
आईएनएक्स मीडिया (INX Media) मामले में पी चिदंबरम (P. Chidambaram) की याचिका पर जमानत मंजूर करने संबंधी उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के आदेश का हवाला देते हुए सिंघवी ने दावा किया कि सीबीआई विशेष सीबीआई अदालत (Special CBI Court) द्वारा चारों आरोपियों को दी गई जमानत पर सवाल उठाने के लिए 'हुल्लड़बाजी' को बहाना बना रही है.