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KK Pathak के आदेश के बाद सरकारी स्कूलों से कटे लगभग 22 लाख छात्रों के नाम, क्या शिक्षा के अधिकार का हुआ है उल्लंघन?

शिक्षा विभाग के फैसले से खलबली मची है. स्कूलों से तकरीबन 22 लाख बच्चों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं, इनमें डेढ़ लाख बच्चे इस बार बोर्ड परीक्षा देने वाले हैं. इसके खिलाफ विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष भी नजर आ रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नाम हटाने में RTE यानी शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है? विस्तार से पढ़ें पूरी खबर..

बिहार के लगभग 22 लाख बच्चों का नामांकन रद्द
बिहार के लगभग 22 लाख बच्चों का नामांकन रद्द

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2023, 7:25 PM IST

Updated : Oct 27, 2023, 9:41 PM IST

देखें विशेष रिपोर्ट.

पटना:शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश के बाद बीते डेढ़ महीने में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों से कक्षा 1 से 12 तक के 21.90 लाख बच्चों के नामांकन रद्द कर दिए गए हैं. केके पाठक के निर्देश पर विद्यालयों में लगातार निरीक्षण कार्य चल रहा है और जो बच्चे 15 दिन से अधिक समय से विद्यालय से अनुपस्थित हैं, ऐसे बच्चों का नामांकन रद्द किया जा रहा है.

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बिहार के लगभग 22 लाख बच्चों का नामांकन रद्द: हालांकि इन बच्चों के लिए यह प्रावधान जरूर है कि अभिभावक जाकर विद्यालय में यदि शपथ पत्र देते हैं कि आगे से बच्चे विद्यालय से अनुपस्थित नहीं रहेंगे और विद्यालय को सूचना देकर अनुपस्थित होंगे तो उनका पुनः नामांकन भी हो रहा है. शिक्षा विभाग के निर्णय के बाद कई राजनीतिक दल सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. शिक्षा के अधिकार के उल्लंघन की दुहाई दे रहे हैं.

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क्या RTE का हो रहा उल्लंघन?: विशेषज्ञों का मानना है कि यह जो कुछ भी हो रहा है, शिक्षा के अधिकार के दायरे में हो रहा है और यह सही हो रहा है.एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के प्रोफेसर शिक्षाविद प्रोफेसर बीएन प्रसाद ने बताया कि सरकार जो कुछ भी कर रही है, काफी सही कर रही है. शिक्षा का अधिकार कानून कहता है कि बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति 75% होनी चाहिए और इसी को लेकर यह निर्णय लिया गया है.

"सरकारी विद्यालयों में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम पर काफी लूट मची हुई थी, जिसको इस निर्णय के माध्यम से नकेल कसा गया है. सरकारी विद्यालयों में काफी संख्या में ऐसे घोस्ट स्टूडेंट थे, जिनका विद्यालय में नामांकन तो है लेकिन वह बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं. घोस्ट स्टूडेंट्स का कोई अस्तित्व ही नहीं है."-प्रोफेसर बीएन प्रसाद,शिक्षाविद

अभिभावकों को देना होगा शपथ पत्र: प्रोफेसर बीएन प्रसाद ने बताया कि आपने देखा होगा कि कम संख्या में ही अभिभावकों ने क्लेम किया कि उनके बच्चे का नामांकन कट गया है. जिन्होंने भी यह क्लेम किया उनके बच्चों का शपथ पत्र के साथ फिर से नामांकन किया गया है, लेकिन भारी संख्या में अभिभावकों ने क्लेम नहीं किया है. इसका मतलब साफ है कि उन छात्रों के नाम पर पैसे का घोटाला हो रहा था.

'नाम ना कटे इसके लिए करना होगा ये काम':उन्होंने आगे कहा कि जो उच्च माध्यमिक के बच्चे के साथ समस्या है, उस पर सरकार को भी संज्ञान लेना होगा. सरकार को विद्यालयों में ऐसा शैक्षणिक माहौल कायम करना होगा, जहां बच्चे कंपटीशन परीक्षा की भी तैयारी कर सकें. बच्चे स्कूल के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर सकें. इसके लिए स्कूल में ही प्रबंध करना होगा. ऐसा होगा तो सरकारी विद्यालयों से बच्चों का नाम कटने की बजाय काफी संख्या में बढ़ेगा.

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घोस्ट स्टूडेंट्स का स्कूल में नामांकन: दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को जानकारी मिली कि बिहार के सरकारी स्कूलों में सरकार की ओर से चलाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. विद्यालयों में काफी ऐसे घोस्ट स्टूडेंट है जो वास्तव में है नहीं और उनका नामांकन विद्यालय में है.

सरकारी राशि का दुरुपयोग: ऐसे में इन बच्चों को चिह्नित करने और सरकारी राशि का हो रहे दुरुपयोग को नियंत्रित करने को लेकर केके पाठक ने 2 सितंबर को निर्देश जारी किया कि जो बच्चे 15 दिनों से अधिक समय से विद्यालय नहीं आ रहे हैं उनका नामांकन रद्द किया जाए. जिसके बाद से लगातार सरकारी विद्यालयों से नामांकन रद्द हो रहे हैं.

पटना के 90 हजार से अधिक विद्यार्थियों के नामांकन रद्द:प्रदेश में अब तक 21.90 लाख बच्चों के नामांकन रद्द हो चुके हैं. इसमें 9वीं से 12वीं बोर्ड में सम्मिलित होने वाले बच्चों की संख्या 266564 है. पटना जिले में ही 97369 विद्यार्थियों के नामांकन रद्द हुए हैं. ऐसे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूल से अनुपस्थित रहने वाले छात्रों को आगामी मैट्रिक और इंटर परीक्षा में सम्मिलित होने पर रोक लगा दी है.

बक्सर के 37 हजार 532 बच्चों के नाम काटे गए: वहीं बक्सर जिले में ऐसे कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 37 हजार 532 है, जिनके नाम काटने के बाद उनका भविष्य अधर में लटक गया है. किसी को अगले साल मैट्रिक की परीक्षा देनी थी, तो किसी को इस साल रजिस्ट्रेशन कराना था. वैसे छात्र और उनके परिजन स्कूल परिसर से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं.

जनकल्याणकारी योजनाओं की राशि में होगी बचत: केके पाठक ने जब यह निर्देश जारी किया था तो स्पष्ट कहा था कि शिक्षा विभाग सरकारी विद्यालयों में 3000 करोड़ रुपए की जनकल्याणकारी योजनाएं चलाती है और यदि घोस्ट स्टूडेंट 10% भी हटाए गए तो सरकार को 300 करोड़ रुपए की बचत होगी. जो छात्र उच्च माध्यमिक में नामांकन लेकर दूसरे जिलों में या दूसरे प्रदेशों में कंपटीशन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उनका नामकरण भी रद्द करने के लिए केके पाठक ने निर्देशित किया था.

JDU ने खोला मोर्चा: केके पाठक के ऐसे निर्देश के बाद विद्यालयों का लगातार निरीक्षण हो रहा है और विद्यालय में उपस्थित रहने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ी है और शिक्षकों में भी विद्यालय समय पर आने की प्रवृत्ति भी बढ़ी है. वहीं इस फरमान को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. वहीं अब जेडीयू ने भी मोर्चा खोल दिया है.

सीएम से बात करने की तैयारी:जेडीयू के विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव ने इसको लेकर नाराजगी जाहिर की है. एमएलसी वीरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि इस मामले में वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, शिक्षा मंत्री और विभागीय अधिकारियों से बात करेंगे. साथ ही उन्होंने इस मामले को विधान परिषद में भी उठाने की बात कही है.

केके पाठक के फैसले का विरोध जारी: केके पाठक के फैसले का अभिभावक और विद्यार्थी विरोध कर रहे हैं. लखीसराय के दुर्गा गर्ल्स स्कूल की छात्राएं पिछले दो दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. इस स्कूल के 400 से अधिक छात्राओं का नाम स्कूल से काट दिया गया है. लखीसराय ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों में भी विद्यार्थियों में रोष बढ़ता जा रहा है.

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Last Updated : Oct 27, 2023, 9:41 PM IST

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