इंदिरा एकादशी : हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आश्विन मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. श्राद्ध पक्ष होने होने के कारण इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से पितरों को मुक्ति और शांति प्राप्त होती है एवं श्राद्ध करने वाले को विशेष पुण्य के साथ-साथ पितरों का और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आईए जानते हैं Indira Ekadashi की व्रत कथा
इंदिरा एकादशी की व्रत कथा :प्राचीन काल में सतयुग के समय माहिष्मती नाम के एक राज्य में इंद्रसेन नाम का राजा हुआ करता था. राजा के माता-पिता का देहांत हो गया था. एक दिन राजा इंद्रसेन को सपने में दिखाई दिया कि उनके माता-पिता नर्क में कष्ट एवं असहनीय पीड़ा भोग रहे हैं. जब राजा की नींद खुली तो अपने पितरों की के कष्ट देखकर कष्ट कष्ट को याद कर उन्हें बहुत ही पीड़ा हुई. उन्होंने मन ही मन निश्चय किया कि वह अपने पितरों की पीड़ा को दूर करने एवं उन्हें नर्क से मुक्ति दिलाने के लिए अवश्य ही प्रयास करेंगे.
इसके बाद उन्होंने अपने मंत्रियों एवं विद्वान ब्राह्मणों को बुलाया और अपने सपने के बारे में बताया. राजा इंद्रसेन की बात सुनकर ब्राह्मणों ने उन्हें बताया कि हे राजन आप अपनी पत्नी के साथ Indira Ekadashi का व्रत करें जिससे आपके पितरों को मुक्ति एवं शांति मिलेगी. हे राजन, आप Indira Ekadashi के दिन व्रत करते हुए भगवान शालिग्राम का पूजन करें, उन्हें तुलसीदास अर्पित करें एवं ब्राह्मणों को भोजन काराएं और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें, जिससे आपके माता-पिता को अवश्य ही स्वर्ग की प्राप्ति होगी.
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