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नगालैंड गोलीबारी: मारे गए लोगों के परिवारों ने की न्याय की मांग, मुआवजा ठुकराया - Oting village in Mon district of Nagaland

नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव(Oting village in Mon district of Nagaland ) में सेना की कथित गोलीबारी(alleged army firing ) में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों को 'न्याय के कटघरे' में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा(government compensation ) लेने से इनकार कर दिया है.

Nagaland firing: Families of those killed demand justice, compensation rejected
नगालैंड गोलीबारी: मारे गए लोगों के परिवारों ने की न्याय की मांग, मुआवजा ठुकराया

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Published : Dec 13, 2021, 1:10 PM IST

कोहिमा: नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव(Oting village in Mon district of Nagaland ) में सेना की कथित गोलीबारी(alleged army firing ) में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षा कर्मियों को 'न्याय के कटघरे' में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा(government compensation ) लेने से इनकार कर दिया है. ओटिंग ग्राम परिषद(Oating Village Council ) ने एक बयान में कहा कि पांच दिसंबर को जब स्थानीय लोग गोलीबारी और उसके बाद हुई झड़प में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहे थे, तब राज्य के मंत्री पी पाइवांग कोन्याक(Minister of State P Paiwang Konyak ) और जिले के उपायुक्त ने 18 लाख 30 हजार रुपये दिए.

बयान में कहा गया कि पहले उन्हें लगा कि यह मंत्री ने सद्भावना के तौर पर दिए हैं, लेकिन बाद में पता चला कि यह मारे गए और घायलों के परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से अनुग्रह राशि की एक किस्त थी. बयान में कहा गया, 'ओटिंग ग्राम परिषद और पीड़ित परिवार, भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाने तक इसे स्वीकार नहीं करेंगे.'

इस बयान को रविवार को जारी किए गया, जिस पर ग्राम परिषद के अध्यक्ष लोंगवांग कोन्याक, अंग (राजा) तहवांग, उप अंग चिंगवांग और मोंगनेई और न्यानेई के गांव बुराह (गांव के मुखिया) के हस्ताक्षार थे.

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पुलिस के अनुसार, जिले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक की मौत हो गई और एक सैनिक की जान चली गई थी.

(पीटीआई-भाषा)

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