कोहिमा : नगालैंड में हॉर्नबिल फेस्टिवल (Nagaland Hornbill cancelled) रद्द कर दिया गया है. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की सरकार ने मृतकों के सम्मान में हॉर्नबिल त्योहार रद्द करने का एलान किया है. सरकार ने एक बयान में कहा कि मोन जिले के ओटिंग में जिन लोगों की मौत हुई है उनके सम्मान में 2021 का हॉर्नबिल त्योहार रद्द किया जा रहा है.
हॉर्नबिल फेस्टिवल पर नगालैंड सरकार ने कहा कि पीड़ित परिवारों के साथ संवेदना और मृतकों के सम्मान में हॉर्नबिल फेस्टिवल-2021 के तहत सभी आयोजन आधिकारिक तौर पर रद्द किए जाते हैं. मंगलवार को नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के मंत्रिमंडल ने सेना की कार्रवाई में 14 आम नागरिकों की मौत के खिलाफ प्रदर्शन स्वरूप हॉर्नबिल उत्सव को समाप्त करने का फैसला लिया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून रद्द करने की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिखने का भी फैसला किया है.
राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन आधारित मनोरंजन कार्यक्रम 10 दिवसीय हॉर्नबिल उत्सव राजधानी के समीप किसामा में नगा हेरिटेज गांव में आयोजित किया गया था. यह उत्सव 10 दिसंबर को खत्म होना था. राज्य सरकार ने आयोजन स्थल पर कार्यक्रम रद्द कर दिया. पूर्वी नगालैंड और राज्य के अन्य हिस्सों की कई जनजातियों ने भी मोन जिले में आम नागरिकों की मौत पर सभी गतिविधियों को निलंबित कर दिया.
रियो ने सोमवार को मोन शहर में 14 आम नागरिकों के अंतिम संस्कार में भाग लेते हुए अफस्पा (AFSPA) को निरस्त करने की मांगों का समर्थन किया. बता दें कि AFSPA कानून 'अशांत इलाकों' में सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार देता है.
इसके अलावा नगालैंड के शीर्ष आदिवासी निकाय कोन्याक यूनियन (केयू) ने सेना की कार्रवाई में नागरिकों की मौत के विरोध में मंगलवार को मोन जिले में दिन भर के बंद का आह्वान किया और अगले दिन से सात दिनों के शोक की घोषणा की.
केयू ने सुरक्षा बलों से सात दिनों के शोक की अवधि में कोन्याक क्षेत्र में गश्त नहीं करने का अनुरोध किया. इसके साथ ही संगठन ने चेतावनी दी कि यदि कानून का प्रवर्तन करने इसका पालन नहीं करते हैं, तो वे 'किसी भी अप्रिय घटना के लिए जिम्मेदार होंगे.'
केयू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे एक पत्र में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का अनुरोध भी किया है. इसमें ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) के दो सदस्यों को भी शामिल करने की मांग की गई है. इसके साथ ही केयू ने घटना में शामिल सैनिकों की पहचान करने तथा उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को 30 दिनों के भीतर सार्वजनिक करने का आग्रह किया है.
केयू ने मांग की कि नागरिकों की रक्षा करने में विफल रहने के कारण 27 असम राइफल्स तुरंत मोन को खाली कर दे तथा सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून को पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र से हटाया जाए. केयू के अध्यक्ष होइंग कोन्याक ने कहा, 'हमने मंगलवार को मोन जिले में एक दिन का बंद रखा है. यह शांतिपूवर्क चल रहा है. हमने बुधवार से सात दिनों के शोक की भी घोषणा की है.'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए बयान के बारे में पूछे जाने पर कोन्याक ने कहा, 'इस क्षण में, हम उनके बयान को स्वीकार करने या खारिज करने की स्थिति में नहीं हैं. हम अपने लोगों की नृशंस हत्या से दुखी हैं. असम में इलाज करा रहे दो लोगों के होश में आने के बाद ही पता लगेगा कि वास्तव में क्या हुआ.'
सेना ने नागरिकों की पहचाना नहीं, शवों को 'छिपाने' का प्रयास !
नगालैंड गोलीबारी से जुड़ी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नगालैंड के मोन जिले में शनिवार को एक पिकअप ट्रक पर गोलीबारी करने से पहले सेना ने उसमें सवार लोगों की पहचान करने की कोई कोशिश नहीं की थी. राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टी जॉन लोंगकुमेर और आयुक्त रोविलातुओ मोर की संयुक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है.