कोहिमा : पड़ोसी राज्य मणिपुर में आदिवासी अपने लिए एक अलग प्रशासनिक इकाई की मांग कर रहे हैं तो वहीं दशकों पुराने अनसुलझे नागा राजनीतिक मुद्दे के बीच अलग 'फ्रंटियर नागालैंड' (Frontier Nagaland) की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) छह जिलों की वर्षों से उपेक्षा का दावा करते हुए 2010 से एक अलग 'फ्रंटियर नागालैंड' राज्य की मांग कर रहा है.
इन छह जिलों में पूर्वी नागालैंड की सात पिछड़ी जनजातियां - चांग, खिआमनियुंगन, कोन्याक, फोम, तिखिर, संगतम और यिमखिउंग रहती हैं. ईसाई बहुल नागालैंड की कुल 20 लाख की आबादी में से लगभग 87 प्रतिशत जनजातियां हैं. यहां 17 प्रमुख जनजातियों के साथ-साथ अन्य उप-जनजातियां भी निवास करती हैं, जिनमें से प्रत्येक का चरित्र रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के मामले में एक दूसरे से भिन्न है.
पूर्वी नागालैंड के शीर्ष जनजातीय संगठन ईएनपीओ और कई अन्य संगठनों ने अपनी मांग पर जोर देने के लिए पिछले साल मेगा वार्षिक हॉर्नबिल उत्सव का बहिष्कार किया था.
ईएनपीओ और उससे जुड़े संगठनों ने अपनी अलग राज्य की मांग के समर्थन में 27 फरवरी के नागालैंड विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था, लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद बहिष्कार का आह्वान वापस ले लिया.
शाह ने पहले भी इस मुद्दे पर कई बार ईएनपीओ नेताओं से मुलाकात की थी. विधानसभा चुनाव से पहले गृह मंत्री ने कहा था कि ईएनपीओ के सभी मुद्दों पर चर्चा हो चुकी है और चुनाव के बाद एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. हालांकि, पांच महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी 'फ्रंटियर नागालैंड' मुद्दा अभी भी अधर में लटका हुआ है.
अलग 'फ्रंटियर नागालैंड' राज्य की लंबे समय से लंबित मांग के बीच, नागालैंड के छह पूर्वी जिलों के लिए एक स्वायत्त परिषद के गठन के केंद्र के प्रस्ताव पर एक परामर्श बैठक 30 जून को कोहिमा में आयोजित की गई थी.
नागालैंड सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि छह पूर्वी जिलों तुएनसांग, मोन, लॉन्गलेंग, किफिरे, शामतोर और नोकलाक के लिए एक स्वायत्त परिषद बैठक आयोजित की गई थी. हालांकि, उन्होंने बैठक के नतीजे का खुलासा नहीं किया.