मैसूर :मैसूर विश्वविद्यालय (University of Mysore) ने हैदराबाद स्थित लोरवेन बायोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड (Lorven Biologics Private Limited) के सहयोग से संयुक्त रूप से एक सेल्फ कोविड डिटेक्शन किट विकसित की है.
मैसूर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सदस्य के.एस. रंगप्पा (K.S. Rangappa), जो कि शोधकर्ताओं की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि नई कोविड डिटेक्शन किट की सटीकता दर 90 प्रतिशत से अधिक है.
आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए ICMR को भेजी नई किट
विश्वविद्यालय के कुलपति जी हेमंत कुमार और रंगप्पा ने संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय परिसर के विज्ञान भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की. किट को एक शोध दल ने तैयार किया, जिसमें मैसूर विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ स्टडीज इन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (Department of Studies in Molecular Biology, University of Mysore) के कोऑर्डिनेटर एस चंद्र नायक और असिसटेंट प्रोफेसर सी.डी. मोहन शामिल हैं.
रंगप्पा ने कहा कि किट सस्ती कीमत पर उपलब्ध होने की उम्मीद है, क्योंकि इसे राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय ने तैयार किया है. उन्होंने कहा कि शोध टीम Indian Council of Medical Research (ICMR) से आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए नई किट भेज रहा है.
बारकोड करना होगा स्कैन
शोध दल ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि किट की अनूठी विशेषता यह है कि एक बारकोड पट्टी एक एप से जुड़ी होती है. जैसे ही बारकोड स्कैन किया जाता है, रोगी की स्वास्थ्य स्थिति (चाहे परीक्षण सकारात्मक या नकारात्मक) सर्वर में अपडेट हो जाती है, जिससे गवर्निंग एजेंसियां तुरंत निगरानी करने में सक्षम होती हैं. किट के विकास में आणविक जीव विज्ञान, नैनो तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हालिया तकनीकों का उपयोग किया गया है.