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Mizoram and Manipur on Refugees : मिजोरम विरोध में, मणिपुर चाहता है और समय - manipur crisis

म्यांमार से आए हुए शरणार्थियों का बायोमेट्रिक संग्रह लिया जाए या नहीं, इसको लेकर मिजोरम और मणिपुर की अलग-अलग राय है. मिजोरम ने साफ तौर पर इस तरह के किसी भी प्रयास का विरोध किया है. राज्य ने कहा है कि वह किसी का भी डेटा संग्रहित नहीं करेगा.

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मणिपुर

By IANS

Published : Sep 28, 2023, 6:55 PM IST

आइजोल/इंफाल : मिजोरम सरकार ने राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के लोगों का बायोमेट्रिक्स और जीवनी डेटा एकत्र नहीं करने का फैसला किया है, जबकि मणिपुर सरकार ने केंद्र से राज्य में इस प्रक्रिया के लिए समय एक साल बढ़ाने का आग्रह किया है.

मिजोरम गृह विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को अपनी बैठक में राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार शरणार्थियों के बायोमेट्रिक और जीवनी डेटा के प्रस्तावित संग्रह को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया. राज्य सरकार ने इस मामले को गृह मंत्रालय (एमएचए) के समक्ष उठाया, लेकिन केंद्र ने जोर देकर कहा कि वह इस प्रक्रिया को जारी रखे.

म्यांमार से आए शरणार्थी

अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "चुनाव आयोग जल्द ही मिजोरम विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है और सरकारी अधिकारी आगामी चुनावों की तैयारियों में बहुत व्यस्त होंगे." 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा का चुनाव इस साल नवंबर या दिसंबर में होने की संभावना है.

गृह मंत्रालय ने पहले मणिपुर और मिजोरम सरकारों से दोनों राज्यों में "अवैध प्रवासियों" की जीवनी और बायोमेट्रिक विवरण लेने और इस साल सितंबर तक प्रक्रिया पूरी करने को कहा था. दोनों पूर्वोत्तर राज्य पहले म्यांमार के नागरिकों के बायोमेट्रिक्स और जीवनी संबंधी डेटा का संग्रह करने पर सहमत हुए थे.

फरवरी 2021 में म्यांमार में सैन्य अधिग्रहण के बाद, हजारों म्यांमारवासी मिजोरम भाग गए, जिनमें लगभग 35,000 पुरुष, महिलाएं और बच्चे अब पहाड़ी राज्य में रह रहे हैं. कई हजार म्यांमारी नागरिकों ने भी मणिपुर में शरण ली. मिजोरम के सूचना और जनसंपर्क मंत्री लालरुआत्किमा ने कहा कि म्यांमार के नागरिकों के बायोमेट्रिक विवरण का संग्रह भेदभावपूर्ण होगा, क्योंकि शरणार्थियों और मिज़ोरम के मिज़ोस के बीच समान रक्त संबंध और समान जातीयता है.

उन्‍होंने कहा, "एमएनएफ (मिज़ो नेशनल फ्रंट) सरकार ने मानवीय आधार पर म्यांमार के शरणार्थियों को राहत और आश्रय दिया. हजारों शरणार्थी छात्रों को मिजोरम के स्कूलों में नामांकित किया गया और राज्य के अन्य छात्रों की तरह मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, वर्दी और दोपहर का भोजन दिया जाता है." मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा और राज्य के संसद सदस्यों - सी. लालरोसंगा (लोकसभा) और के. वनलालवेना (राज्यसभा) ने कई अवसरों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी.किशन से आग्रह किया. रेड्डी और गृह मंत्रालय को धन उपलब्ध कराने और राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए कहा.

गृह मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल और सम्मेलनों का हवाला देते हुए पहले पूर्वोत्तर राज्यों से कहा था कि पड़ोसी देशों के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि भारत शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. इस बीच, मणिपुर सरकार ने राज्य में रहने वाले म्यांमार के लोगों के लिए बायोमेट्रिक प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है, हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र से समय एक साल बढ़ाने का अनुरोध किया है.

जैसे ही राज्य सरकार ने जुलाई से बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करना शुरू किया, गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिनियुक्त राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक टीम ने इम्फाल पूर्वी जिले के सजीवा में विदेशियों के हिरासत केंद्र में राज्य सरकार की सहायता की.

पड़ोसी देश में सेना और नागरिक बलों के बीच चल रही झड़पों के कारण जुलाई में 301 बच्चों और 208 महिलाओं सहित 718 से अधिक म्यांमार नागरिकों ने मणिपुर के चंदेल जिले में प्रवेश किया था. म्यांमार के नागरिक अब चंदेल में भारत-म्यांमार सीमा के पास सात गांवों - लाजांग, बोन्से, न्यू समताल, न्यू लाजंग, यांग्नोम्फाई, यांग्नोम्फाई सॉ मिल और ऐवोमजंग में रह रहे हैं. इन 718 म्यांमार नागरिकों के अलावा, फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद कई हजार म्यांमारियों ने मणिपुर में शरण ली.

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