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मेरे पदक ने दिखाया कि खेल और पढ़ाई साथ हो सकती है : DM सुहास

टोक्यो पैरालंपिक 2020 रजत पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी और नोएडा के जिलाधिकारी सुहास यथिराज का कहना है, यह गलतफहमी है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती.

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नोएडा जिलाधिकारी सुहास यथिराज

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Published : Sep 8, 2021, 10:02 PM IST

नई दिल्ली:48 साल के नोएडा जिलाधिकारी सुहास यथिराज के एक पैर के टखने में जन्मजात विकार है. साल 2016 में इस खेल में आने के बाद उन्होंने हाल ही में टोक्यो पैरालंपिक 2020 में पदार्पण करते हुए रजत पदक हासिल किया है. अपनी इस उपलब्धि के लिए उन्होंने अपने दिवंगत पिता की प्रेरणादायी भूमिका को श्रेय दिया.

इस नौकरशाह ने यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद कारपोरेट नौकरी छोड़ दी थी. उन्होंने कहा, वह नौकरी और अपने जुनून के बीच सही संतुलन बनाने के आदी हैं. उन्होंने कहा, बचपन से ही मैं दो घंटे खेलता था, खेल हमेशा से पढ़ाई के साथ मेरे जीवन का हिस्सा रहा है. समाज में गलतफहमी ही है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती.

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कर्नाटक के हसन में जन्में सुहास ने कहा, मैं माता-पिता और समाज को बताना चाहूंगा कि यह तर्क भूल जाइए. आपका बच्चा दोनों में अच्छा कर सकता. उन्होंने कहा, साल 2016 में मैंने अपना पहला पेशेवर टूर्नामेंट खेला था, जो बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप थी, जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला था. मुझे लगता है कि वह पेशेवर बैडमिंटन के हिसाब से मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट था.

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आजमगढ़, प्रयागराज और हाथरस जिले के जिलाधिकारी रह चुके सुहास ने अपने दिवंगत पिता यथिराज एल के को अपनी सफलता का श्रेय दिया और कहा कि उन्हें खेलते हुए देखकर ही वह बैडमिंटन खेलने के लिए प्रेरित हुए. उनके पिता भी एक सरकारी अधिकारी थे.

सुहास ने कहा, मेरा विकार जन्मजात है. जब मैं बच्चा था तो इसे ठीक करने के लिए मेरी सर्जरी भी हुई थी. बचपन में हम अच्छा या बुरा समझने के लिए परिपक्व नहीं होते.

उन्होंने कहा, इसलिए जब लोग बात करते तो आप बहुत संवेदनशील होते हो, आपको खुद पर भरोसा नहीं होता कि आप जिंदगी में क्या हासिल कर सकते हो. लेकिन यहीं मेरे पिता की भूमिका अहम रही, उन्होंने मुझमें इतना आत्मविश्वास भर दिया कि मैं क्या नहीं कर सकता. इसलिए बचपन से ही मैं सक्षम खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करता था.

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उन्होंने कहा, बचपन से ही वह बैडमिंटन खेलना चाहते थे. उन्होंने कहा, दक्षिण भारत में बॉल बैडमिंटन खेला जाता है, मेरे पिता भी यही खेलते थे और मैं इससे आकर्षित होता था.

इंजीनियरिंग कर चुके सुहास ने पैरालंपिक पदक जीतने वाला पहला आईएएस अधिकारी बनकर इतिहास रचा. उन्हें 30 मार्च 2020 को गौतम बुद्ध नगर का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया और उन्होंने कोविड-19 महामारी प्रबंधन में काफी अहम भूमिका निभाई.

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