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आदेश के दो साल बाद भी व्यक्ति को हिरासत में रखना 'बेहद परेशान करने वाला': जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट - Muzamil Manzoor War

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने नजरबंदी आदेश को रद्द करने के बावजूद हिरासत से रिहा नहीं करने को गंभीरता से लिया है और बारामूला के जिला मजिस्ट्रेट को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 29 मई को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है.

Jammu Kashmir and Ladakh high court
प्रतिकात्मक तस्वीर

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Published : May 25, 2023, 12:37 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने पिछले साल फरवरी में मुजम्मिल मंजूर वार की नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया था. लेकिन 467 दिन बाद भी उसे रिहा नहीं किया गया. उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राहुल भारती ने पीड़ित के पिता केमाध्यम से दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस अदालत के सामने बहुत परेशान करने वाला परिदृश्य पेश किया गया है, जिसे नियमित तरीके से सुनवाई के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.

मुजम्मिल मंजूर वार को 29 मई को करना होगा पेश :कोर्ट ने 12 मई को दिये अपने आदेश में कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट और पीड़ित मुजम्मिल मंजूर वार के साथ 29 मई को अदालत के सामने पेश हों. वार को को विवादास्पद जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया था. बता दें कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने 11 फरवरी 2022 को आदेश दिया था कि वार को तत्काल रिहा किया जाये. यह एक ऐसा कानून था जो प्रशासन और पुलिस को 2 साल तक बिना किसी मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने की अनुमति देता है.

मनमाने उपयोग का इतिहास : पीएसए का 1989 से जम्मू और कश्मीर में मनमाने उपयोग का इतिहास रहा है. हालांकि तब सरकार ने मूल रूप से उग्रवादियों, पथराव करने वालों और अलगाववादियों के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल करती था. लेकिन हाल के दिनों में इसका इस्तेमाल मुख्यधारा के राजनेताओं, तीन मुख्यमंत्रियों, पत्रकारों को हिरासत में लेने के लिए किया गया है. लोगों का कहना है कि कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद आम नागरिकों के खिलाफ इसका इस्तेमाल बढ़ा है.

इस साल अप्रैल में, उच्च न्यायालय ने पत्रकार फहद शाह के पीएसए निरोध आदेश को रद्द कर दिया. फहद कश्मीर स्थित समाचार वेबसाइट द कश्मीर वाला के प्रधान संपादक थे. कोर्ट ने तीन और लोगों को भी रिहा करने के लिए कहा था. क्योंकि इन लोगों के खिलाफ 2020 में पथराव के आरोप लगे थे जबकि वे 2017 से जेल में थे.

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