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मुजफ्फरपुर की सलोनी का कमाल, जलकुंभी से बना डाला सैनिटरी पैड, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में चयन - मुजफ्फरपुर की सलोनी की सक्सेस स्टोरी

मुजफ्फरपुर की सलोनी ने जलकुंभी से सेनिटरी पैड बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर सूबे का नाम रोशन किया है. उसके इस प्रोजेक्ट का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (National Children Science Congress ) में किया गया है. सलोनी ने कैसे इस पैड का निर्माण किया, हम यहां इसी बात को जानने की कोशिश करेंगे. पढ़ें पूरी खबर..

मुजफ्फरपुर की सलोनी ने कर दिखाया कमाल
मुजफ्फरपुर की सलोनी ने कर दिखाया कमाल

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Published : Dec 16, 2022, 6:42 AM IST

मुजफ्फरपुर की सलोनी ने कर दिखाया कमाल

मुजफ्फरपुरःबिहार के मुजफ्फरपुर में एक सरकारी स्कूल की छात्रा ने कमाल कर दिखाया. जिले के एमआरएस हाईस्कूल की छात्रा सलोनी कुमारी ने जलकुंभी से सेनिटरी पैड बनाया (muzaffarpur saloni made sanitary pads) है. इस कारण नौंवी की छात्रा सलोनी के इस प्रोजेक्ट का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में किया गया है. सलोनी जिले के मनियारी की रहने वाली है.

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बाल विज्ञान कांग्रेस में हुआ है प्रोजेक्ट का चयनः एमआरएस हाईस्कूल की शिक्षिका अपर्णा कुमारी ने कहा कि सलोनी ने जो कमाल किया है, उस पर हमलोगों को गर्व है. सलोनी ने इस बात को गलत साबित कर दिया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. उसने जलकुंभी से सेनिटरी पैड का निर्माण कर राष्ट्रीयस्तर पर स्कूल का नाम रोशन किया है. उन्होंने बताया कि नौंवी कक्षा की छात्रा सलोनी के इस प्रोजेक्ट का चयन राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में किया गया है. सलोनी ने मुजफ्फरपुर के जलीय क्षेत्रों से घिरे मनियारी और आसपास इलाकों में उगने वाले जलकुंभी का प्रयोग कर पैड बनाया है. वह सरकारी स्कूल एमआरएस हाई स्कूल की छात्रा है.

"ये तो हमलोगों के लिए बहुत गर्व की बात है. मेरी छात्रा ने इस बात को गलत साबित कर दिया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती. हमलोगों को इन पर बहुत गर्व है" -अपर्णा कुमारी, शिक्षिका

आसानी से नष्ट हो जाएगा यह पैडः सलोनी ने बताया कि यह पैड प्लास्टिक की तुलना में बायोडिग्रेडेबल और रसायनमुक्त है. जलकुंभी खुद प्राकृतिक रूप से बहुत अच्छा अवशोषी है और सड़नशील भी है. इससे बने पैड को कही भी फेंक देने से न तो पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा, न ही त्वचा को किसी तरह की एलर्जी होगी छात्रा ने यह प्रोजेक्ट अपने साइंस टीचर अल्का राय की देखरेख में किया है. करीब चार महीने से इस पर रिसर्च किया जा रहा था.

"बाजार में जो सेनेटरी पैड मिलता है उसे नष्ट होने में काफी समय लग जाता है, लेकिन हमने जो जलकुंभी से पैड बनाया है वह जल्दी ही नष्ट हो जाती है. साथ ही बाजार वाले पैड में जो जेल होता है उसका त्वचा पर बुरा असर भी पड़ता है, लेकिन जलकुंभी वाले पैड से ऐसा कुछ नहीं होता है"- सलोनी कुमारी

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