अयोध्या:बीते कुछ दिनों से देश भर में खुले में नमाज और हनुमान चालीसा पढ़े जाने को लेकर बवाल जारी है. सार्वजनिक स्थान पर आए दिन नमाज पढ़े जाने को लेकर साजिश के तहत माहौल खराब करने का आरोप भी लगाया जा रहा है. इस घटना का विरोध अयोध्या के साधु संत ही नहीं मुस्लिम समाज भी कर रहा है. यही नहीं मुस्लिम समाज द्वारा ऐसे लोगों को आतंकी करार देते हुए, उन्हें फांसी की सजा दिए जाने की भी मांग की गयी है.
यूपी सरकार ने सार्वजनिक स्थान और खुले में नमाज को लेकर प्रतिबंध भी लगा दिया है. बावजूद उसके लगातार समुदाय विशेष के लोगों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर खुले स्थान में नमाज अदा कर कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा रही है. इस तरह की घटनाएं कर इसे धार्मिक तूल देने की कोशिश कर रहे हैं. इन कोशिशों को लेकर जहां एक तरफ अभी तक हिंदू समुदाय मुखर था. वहीं, अब मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग भी इस तरह की हरकतों को समाज में दुर्भावना पैदा करने वाले मान रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी हो रही है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार रहे इकबाल अंसारी और मुस्लिम समुदाय से आने वाले बबलू खान ने भी इस मामले की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए गोरखपुर और प्रयागराज में खुले में नमाज अदा कर आपसी वैमनस्य पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
बाबरी पक्ष के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान में नमाज को लेकर नियम कानून बनाए गए हैं. सरकार ने जब नियम बना दिया है कि खुले में नमाज न पढ़ी जाए तो लोगों को चाहिए कि खुले में नमाज न पढ़े. यह हिंदुस्तान का संविधान है और यहां के संविधान को मानना पड़ेगा. इकबाल अंसारी ने कहा कि मौलाना और नमाजियों से मेरा अनुरोध है. सरकारी नियमों को मानें जब सरकार ने खुले में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है, तो लोगों को अपने मस्जिद और अपने परिसर के अंदर ही नमाज पढ़ना चाहिए. इकबाल अंसारी ने अपील करते हुए कहा कि इस पर राजनीति न की जाए और इसका उल्लंघन भी न किया जाए. नमाज अपने परिसर में पढ़े. यही हिंदुस्तान के मुस्लिमों से मेरी गुजारिश है.