दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Chhath Puja 2023 : कौन कहता है छठ सिर्फ हिन्दुओं का पर्व है, मुस्लिम महिलाओं की आस्था और समर्पण देख आप भी हो जाएंगे मुग्ध

बिहार में छठ महापर्व की शुरुआत होते ही छठ से जुड़े सामानों को लोग इक्ट्ठा करना शुरू कर देते हैं. मिट्टी के चूल्हे पर महाप्रसाद बनता है. इस व्रत में मिट्टी के चूल्हे का बड़ा महत्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस चूल्हे को कौन बनाता है? इसे बनाने के पीछे भी आस्था और परंपरा की एक लंबी कहानी है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 15, 2023, 6:03 AM IST

छठ पूजा के चूल्हे को बनाने के पीछे मुस्लिम महिलाओं की आस्था भी शामिल

पटना : बिहार में छठ पूजा का इंतजार दीपावली की सुबह से शुरू हो जाता है. लोग छठ घाटों की सफाई में मशगुल रहते हैं. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की शुरूआत 17 नवंबर को खरना से होगी तो वहीं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर 20 नवंबर की सुबह इस महापर्व का समापन हो जाएगा. छठ पूजा में प्रसाद का बड़ा ही महत्व है.

'यूं ही नहीं छठ का चूल्हा बन जाता है..': इस महाप्रसाद को बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस चूल्हे पर ये महाप्रसाद बनाया जाता है उसे कैसे और कौन बनाता है? नहीं जानते हैं तो हम आपको आज सबकुछ बताएंगे. ये भी बताएंगे की मिट्टी के चूल्हे के पीछे एक बहुत बड़ी परंपरा का निर्वहन कैसे होता आ रहा है. इस परंपरा के रास्ते में धर्म भी राह नहीं अटकाता. बल्कि बड़े ही आदर भाव से व्रती उनसे चूल्हा खरीदकर घर ले जाते हैं.

''20 से 30 साल से हम लोग इस चूल्हे का निर्माण कर रहे हैं और इसकी बिक्री भी खूब होती है. इस बार मिट्टी की खरीद ज्यादा पैसे में किया है. इसीलिए चूल्हे को जायदा दाम में हम लोग बेच रहे हैं. खरीदारों की कमी नहीं है. लगातार लोग आ रहे हैं और खरीद रहे हैं. छठ महापर्व है और इसको लेकर हम लोगों की भी उतनी आस्था है, जितना कि हिंदू धर्म के लोग रखते हैं. बड़ी निष्ठा भाव से इस चूल्हे को बनाना होता है.''- बेबी खातून, चूल्हा बनाती मुस्लिम महिला

ईटीवी भारत GFX.

मुस्लिम महिलाएं बनाती हैं छठ का चूल्हा: घर-घर जिस चूल्हे पर महाप्रसाद खुदबुदाता है, उस चूल्हे को कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाएं बनातीं हैं. जितना बड़ा त्योहार है उतनी ही बड़ी इस त्योहार को मानने वालों की आस्था भी है. पटना की बेबी खातून जैसी कई महिलाएं गांव से मिट्टी खरीदकर लातीं हैं और पटना की सड़कों पर मिट्टी को चूल्हे का आकार देने में जुट जाती हैं. इस चूल्हे को बनाने के दौरान सभी महिलाएं नियम और निष्ठा का पूरा निर्वहन एक व्रती महिला की तरह ही करती हैं. यूं समझिए कि जब तक चूल्हे का काम चलता है. लहसुन प्याज का सेवन भी इन महिलाओं द्वारा नहीं किया जाता है.

''ये आस्था का पर्व. छठ को लेकर हमारी भी आस्था है. हिंदुओं का महापर्व है तो उससे कोई मतलब नहीं है. मुस्लिम लोग भी इसको यही मानकर चलते हैं. यही कारण है कि हम लोग बहुत निष्ठा से मिट्टी का चूल्हा बनाते हैं और मिट्टी के चूल्हा की बिक्री करते हैं. एक चूल्हा 120 से लेकर 200 रुपए तक बिकता है.'' - रोजी खातून, चूल्हा बनाने वाली मुस्लिम महिला

छठ पूजा और परंपराएं : छठ पूजा 17 नवंबर से खरना से शुरू होगी और 20 नवंबर की सुबह तक चलेगी. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व को लेकर व्रती कठिन व्रत करते हैं. यह त्योहार प्रकृति को ध्यान में रखकर ही पूजन किया जाता है. परंपरा ये है कि खऱना के साथ लहसुन प्याज का सेवन वर्जित हो जाता है. 48 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.

''हम लोग काफी मेहनत करके मिट्टी का चूल्हा बनाते हैं. बहुत ही निष्ठा से हमारे घर की महिलाएं भी इस काम को कर रही हैं. इसीलिए आप समझ लीजिए की कोई धर्म और कोई कॉम नहीं होता है. सभी का पर्व एक होता है. सभी अपने हिसाब से आस्था रखते हैं. मुसलमानों की भी कम आस्था इस महापर्व को लेकर नहीं है.''- मोहम्मद नसीम, चूल्हा बनाने वाले कलाकार

ये भी पढ़ें-

ABOUT THE AUTHOR

...view details