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यूपी में पहले चरण के चुनाव में बिखर सकते हैं मुस्लिम वोट, जानें क्यों - ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन

यूपी विधानसभा चुनाव में अबकी मुस्लिम वोटों का बिखराव तय है, क्योंकि सपा और बसपा ने पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची में एक ही सीट से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शेष बची कसर को पूरा करने का काम किया है. लेकिन इतना तय है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में किसी भी पार्टी को मुस्लिमों का एकमुश्त वोट मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

Muslim votes may be scattered in the first phase
यूपी में पहले चरण के चुनाव में बिखर सकते हैं मुस्लिम वोट

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Published : Jan 28, 2022, 9:53 AM IST

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव में अबकी बार मुस्लिम वोटों का बिखराव होता नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सपा और बसपा ने पहले चरण के प्रत्याशियों की सूची में एक ही सीट से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शेष बची कसर को पूरा करने का काम किया है. खैर, इस बिखराव में किस पार्टी को कितना लाभ होगा और किसे कितना नुकसान यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तय है कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में किसी भी पार्टी को मुस्लिमों का एकमुश्त वोट मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

बात कि जाए तो सपा कि तो पार्टी ने मेरठ सदर विधानसभा सीट से रफीक अंसारी को प्रत्याशी बनाया है. वहीं बसपा ने इस सीट पर दिलशाद शौकत पर दांव खेला है. वहीं एआईएमआईएम ने मेरठ की किठौर विधानसभा सीट से तसलीम अहमद को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है. हालांकि, इस सीट पर सपा ने शाहिद मंजूर को उतारा है. बसपा ने इस सीट से मेरठ की सीवालखास से मुकर्रम अली खां उर्फ नन्हें को टिकट दिया है तो एआईएमआईएम ने यहां से रफत खान को मैदान में उतारा है.

इधर, बसपा ने गाजियाबाद की लोनी सीट से हाजी आदिल चौधरी को उम्मीदवार बनाया है तो एआईएमआईएम ने डॉ. मेहताब को उतारा है. इसके अलावा हापुड़ की गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा सीट से बसपा ने मोहम्मद आरिफ को उतारा है तो एआईएमआईएम ने फुरकान चौधरी पर भरोसा जताया है. बात अगर अलीगढ़ की कोल विधानसभा सीट की करें तो जहां बसपा ने मोहम्मद बिलाल को मैदान में उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने सलमान सईद को उतार यहां लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है.

इसके अतिरिक्त, अलीगढ़ विधानसभा सीट से सपा ने जफर आलम को उम्मीदवार बनाया है और बसपा ने रजिया खान पर दांव खेला है. इसके अलावा एआईएमआईएम ने हापुड़ की धौलाना विधानसभा सीट से हाजी आरिफ को टिकट दिया है तो सपा ने असलम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

खैर, कहा जाता है कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में मुस्लिम मतदाता हमेशा मुस्लिम प्रत्याशियों पर ही भरोसा जाहिर करता है. लेकिन कांग्रेस की सूची आनी अभी बाकी है. ऐसे में अगर कांग्रेस भी इन सीटों से मुस्लिम प्रत्याशी देती है तो फिर मुस्लिम वोटों के बिखराव के आसार अधिक होंगे.

किस विधानसभा में कितने मुस्लिम विधायक

वर्ष मुस्लिम विधायक
1951-52 41
1957 37
1962 30
1967 23
1969 29
1974 25
1977 49
1991 17
1993 28
1996 38
2002 64
2007 54
2012 68
2017 23

वहीं, पश्चिम उत्तर प्रदेश में 9 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मुस्लिम वोटर्स करते हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 55 फीसद के आसपास है. इन 7 सीटों में मेरठ सदर, रामपुर सदर, संभल, मुरादाबाद ग्रामीण, कुंदरकी, अमरोहा नगर, धौलाना, सहारनपुर की बेहट और सहारनपुर देहात सीट शामिल हैं.

इन जिलों में अधिक है मुस्लिम आबादी

जिला मुस्लिम आबादी (%)
रामपुर 50.57
श्रावस्ती 30.79
सुलतानपुर 20.92
मुरादाबाद 47.12
मेरठ 34.43
मुजफ्फरनगर 41.3
अमरोहा 40.78
गाजियाबाद 25.35
बिजनौर 43.04
बरेली 34.54
अलीगढ़ 19.85
बलरामपुर 37.51
बहराइच 37.51

कुल मिलाकर यूपी में 143 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में हैं. इसके अलावा सूबे की करीब 70 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 30 फीसद के बीच है. इतना ही नहीं यहां 43 ऐसी सीटें हैं, जहां मुस्लिम आबादी 30 फीसद से कुछ अधिक है तो वहीं, 36 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम प्रत्याशी अपने बल बूते जीत हासिल करने में सक्षम हैं. इधर, सूबे की 107 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम जीत हार तय करते हैं.

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