तिरुपति :इस वक्त पूरा देश कोरोना वायरस के कारण डर के साये में जी रहा है. कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए अस्पतालों में बेड और फिर ऑक्सीजन का इंतजाम करने के लिए परिजनों को इधर से उधर भटकना पड़ रहा है. वहीं, इस अफरा-तफरी के माहौल में सबसे दुखद नजारा यह भी देखने को मिल रहा है कि कोरोना से मरने वाले मरीजों की उपेक्षा उनके परिजन ही कर रहे हैं.
इस बीच, एक मुस्लिम संगठन JAC (जॉइंट एक्शन कमेटी) मजहब से ऊपर उठकर इंसानियत की बड़ी मिसाल पेश कर रहा है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति में यह मुस्लिम संगठन मुस्लिम समेत हिंदू और ईसाई धर्मों के शवों का भी अंतिम संस्कार कर रहा है.
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संगठन से मदद मांग रहे हैं लोग
पहले ये संगठन सरकार की अनुमति लेकर सिर्फ मुसलमानों के शवों को दफनाने का काम करता था. जब संगठन ने कोरोना महामारी में कोविड से मरने वाले हिंदू और ईसाई धर्मों के शवों की उपेक्षा होते देखा, तो इसने हिंदू और ईसाई रीति-रिवाजों से इन शवों का भी अंतिम संस्कार करना शुरू कर दिया. इनमें कई शव ऐसे भी रहे हैं, जिनके साथ मृतक के परिजन भी आए हैं और उनके अंतिम संस्कार के लिए संगठन की मदद मांग रहे हैं.
2019 में बनाया गया था Covid-19 JAC संगठन
दरअसल, बीते साल कोरोना वायरस का बढ़ता प्रकोप और शवों की दुर्गति होते देख इन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए कुछ मुस्लिम युवाओं ने 'तिरुपति यूनाटेड मुस्लिम एसोसिएशन' का गठन किया था.
अब तक 450 हिंदू शवों का किया अंतिम संस्कार
मुस्लिम संगठन अबतक 450 हिंदू शवों का अंतिम संस्कार कर चुका है, जिसमें प्रत्येक शव का अंतिम संस्कार करने में 10 से 20 हजार रुपये का खर्च आ रहा है. संगठन को सरकार की तरफ से लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए तिरुपति से करीब 25 किलोमीटर दूर मामांदूर कब्रिस्तान में जगह दी गई है. वहीं, संगठन ने खुद के खर्चे पर शवों को यहां लाने के लिए दो एबुलेंस का भी इंतजाम किया हुआ है.
बता दें, इस संगठन के सदस्य केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद करने और उत्तराखंड समेत अन्य जगहों पर प्राकृतिक आपदाओं में लोगों की मदद करने के चलते चर्चा में आए थे.
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अस्पतालों से खुद किया संपर्क
संगठन ने तिरुपति में एसवीआईएमएस और रुइया जैसे अन्य लोकप्रिय अस्पतालों का दौरा किया और अपने संगठन के बारे में जानकारी दी. साथ ही संगठन ने अपना हेल्पलाइन नंबर भी इन अस्पतालों को दिया.
JAC के सदस्य नरेंद्रनाथ और जेएमडी घोष ने कहा कि उन्हें संगठन के इस सराहनीय कदम पर गर्व महसूस हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी में लोगों के बीच जाने और शवों का अंतिम संस्कार करने के बावजूद वे कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं.
वहीं, JAC के अध्यक्ष इमाम साहब का कहना है कि शवों के दाह-संस्कार में वे कोरोना प्रोटोकॉल का भी पालन कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि कोरोना महामारी के इस माहौल में इन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए संगठन के सदस्यों को अपने धर्मगुरुओं को मनाना पड़ा था. लोगों की मदद करने में हमें गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि यह वक्त कोरोना महामारी से एकजुट होकर लड़ने का है.