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हैदराबाद में सिक्कों के संग्रहालय का उद्घाटन, 13 जून तक फ्री एंट्री - सैफाबाद मिंट कंपाउंड

हैदराबाद के मिंट कंपाउंड में लकड़ीकापुल में सिक्कों के संग्रहालय में मुद्रा नोटों, सिक्कों के संग्रह, सिक्कों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पुराने उपकरण और काउंटर वेट जैसी अन्य सामग्री प्रदर्शित की गई हैं. यह संग्रहालय में 13 जून तक लोगों के फ्री इंट्री रहेगी. पढ़िए पूरी खबर...

Coins Museum in Hyderabad
हैदराबाद में सिक्कों का संग्रहालय

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Published : Jun 10, 2022, 4:55 PM IST

Updated : Jun 10, 2022, 5:33 PM IST

हैदराबाद :तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के मिंट कंपाउंड में लकड़ीकापुल में सिक्कों के संग्रहालय का मंगलवार को उद्घाटन किया गया. इसमें मुद्रा नोटों, सिक्कों के संग्रह, सिक्कों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पुराने उपकरण और काउंटर वेट जैसी अन्य सामग्री प्रदर्शित की गई हैं. संग्रहालय भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्थापित की गई है, जिसे केंद्र के 'आजादी का अमृत महोत्सव' बैनर के तहत मनाया जा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि यह आम जनता के लिए 8 से 13 जून तक रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहेगा और इसमें इंट्री फ्री रहेगी. सैफाबाद सिक्का संग्रहालय का उद्घाटन सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तृप्ति घोष ने किया.

हैदराबाद के सिक्का संग्रहालय में मुगल, आसफ जाही (निजाम) और ब्रिटिश भारतीय काल सहित विभिन्न अवधियों के ऐतिहासिक सिक्कों का विविध संग्रह है. सिक्का संग्रहालय में शामिल हैदराबाद के मिंट कंपाउंड से जुड़े सबसे पुराने पुरावशेषों में से एक है. वह पत्थर जो हैदराबाद शहर में सिक्के बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जहां इस पत्थर पर मौलिक उपकरणों के साथ भौतिक रूप से सिक्कों का उत्पादन किया गया था. उसे भी प्रदर्शित किया गया है. सिक्कों के उत्पादन के लिए औजारों का उपयोग करते हुए श्रमिकों की एक तस्वीर भी दिखाई गई है. संग्रहालय कलकत्ता टकसाल संग्रहालय के क्यूरेटर रेहान अहमद द्वारा क्यूरेट किया गया है.

संग्रहालय में रखा प्राचीन सिक्का

इस अवसर पर तृप्ति पात्रा ने कहा, संग्रहालय के साथ, हम स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. उम्मीद करते हैं कि इससे देश के इतिहास और भविष्य के बारे में लोगों को शिक्षित करने में मदद मिलेगी. हम चाहते हैं कि वे इतिहास के बारे में जानें और अतीत में अर्थव्यवस्था ने कैसे काम किया, यह समझें. हम चाहते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी यह समझे कि हम पहले कितने अमीर थे.

बता दें कि सिक्कों बनाने से पहले धातु को पिघलाया जाता था. फिर धातु के वजन की जांच की जाती है. फिर उसे सांचों में डाला जाता था.डाले गए सिल्लियों को ठंडा करने के बाद एक सुसंगत आकार में कतरा जाता था. इतना ही नहीं बफिंग के बाद सतह की गंदगी हटाई जाती थी. रोलिंग प्रक्रिया के दौरान उनकी घिसाई की जाती थी.इसके बाद इसे धोया जाता था. फिर दोनों तरफ के दोषों का निरीक्षण किया जाता था.

जहां तक सैफाबाद टकसाल सवाल है तो यह 1903 की है. यहां के सिक्के, नोट, टिकट और अन्य इंजीनियरिंग सामान के उत्पादन में उत्कृष्ट हैं. 1903 में, हैदराबाद के छठे निजाम मीर महबूब अली खान (1869-1911) ने इस टकसाल का निर्माण किया था, जिसे यूरोपीय टकसालों के अनुरूप बनाया गया था. हैदराबाद भारत का एकमात्र मूल राज्य था जिसे मुद्रा प्रदान की गई थी. सैफाबाद टकसाल भारतीय इतिहास में एक विशिष्ट स्थान रखता है. यह सिक्कों की ढलाई का केंद्र है.

सैफाबाद टकसाल की वास्तुकला और कार्यक्षमता उनकी संरचनात्मक स्थिरता के लिए जानी जाती है. प्रवेश द्वार प्राचीन बंदूक बैरल से सजाए गए हैं. स्तंभ स्टील के बने हुए हैं और उन पर जटिल नक्काशी की गई है. इंजीनियरिंग का यह चमत्कार डेक्कन के जीवन और वाणिज्य से जुड़ा है. यह अथक परिश्रम और सैकड़ों लोगों के प्रयासों का नतीजा है. यह देश का पहला जीवित टकसाल प्रौद्योगिकी संग्रहालय है, जिसमें 1903 से यूरोपीय शैली में पुरानी मशीनें शामिल हैं, जिन्होंने अपनी सुलेख गुणवत्ता के लिए जाने जाने वाले सर्वोत्तम सिक्कों का उत्पादन किया.

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Last Updated : Jun 10, 2022, 5:33 PM IST

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